
Jhargram : जंगलमहल क्षेत्र में मानव और हाथियों के सहअस्तित्व की समस्या दिन-व-दिन गंभीर होती जा रही है। 70 के दशक में वर्तमान झारखंड के दलमा क्षेत्र के जंगलों से पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम, बांकुड़ा, पश्चिम मेदिनीपुर और पुरुलिया जिलों में प्रवासी हाथियों का आना शुरू हुआ था। प्रारंभ में यह समस्या सीमित थी, लेकिन अब यह एक भयावह रूप ले चुकी है।
जान-माल का नुकसान
सरकारी पहल पर एक समय जो “मयूरझरना एलिफेंट प्रोजेक्ट” शुरू हुआ था, वह भी दीर्घकालिक रूप से प्रभावी नहीं हो पाया। बीते एक दशक में इस क्षेत्र में हाथियों ने स्थायी रूप से रहना शुरू कर दिया है, जिसके कारण वे साल भर भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर चले आते हैं। इसका परिणाम है – मानव बस्तियों, फसलों और जान-माल का नुकसान।
बाहर निकलना मुश्किल
वर्तमान में हाथियों के हमलों से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक है झाड़ग्राम। शाम के बाद बाहर निकलना या रात में चैन की नींद लेना तक मुश्किल हो गया है। यह समस्या केवल जनसुरक्षा तक सीमित नहीं है, इसका सीधा असर स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाला मुआवजा काफी नहीं है और दीर्घकालिक समाधान के लिए कोई ठोस पहल नजर नहीं आ रही है।
721 कच्चे मकान क्षतिग्रस्त हुए
जंगलमहल स्वराज मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष अशोक महतो ने सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बताया कि वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक केवल झाड़ग्राम फॉरेस्ट डिवीजन में हाथियों के हमले में 63 लोगों की मृत्यु हुई है। 721 कच्चे मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं और 1,199.41 हेक्टेयर फसल नष्ट हुई है। कुल 6,526 लोगों को ही मुआवजा मिल पाया है।
15 जून को जन कन्वेंशन का आयोजन
ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि झाड़ग्राम जिले में मानव और हाथियों की सुरक्षा के लिए एक दीर्घकालिक, प्रभावी और योजनाबद्ध समाधान अब समय की मांग बन गई है। जंगलमहल स्वराज मोर्चा लगातार राज्य और केंद्र सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का प्रयास करता रहा है—जिससे इंसानों के “जीने के अधिकार” और हाथियों के “वन्य जीव संरक्षण कानून” में निहित अधिकार, दोनों की समन्वित रूप से रक्षा हो सके। इसी संदर्भ में, आगामी 15 जून को झाड़ग्राम शहर में जंगलमहल स्वराज मोर्चा की ओर से एक जन कन्वेंशन का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है—समस्या की जड़ों तक जाकर विचार और मंथन के माध्यम से भविष्य की आंदोलनात्मक रणनीति तय करना।
इस कन्वेंशन की प्रमुख मांगे होंगी:
हाथियों और इंसानों की सुरक्षा हेतु स्थायी उपाय।
प्रभावित परिवारों को उचित और त्वरित मुआवजा।
जंगल से सटे गांवों में सुरक्षा सुनिश्चित करना।
पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा राज्यों के बीच समन्वित प्रयास।
जंगलमहल स्वराज मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष अशोक महतो ने कहा
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“अब यहां के लोग स्थायी समाधान चाहते हैं। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं। हमारा यह जन कन्वेंशन इसी लक्ष्य की दिशा में आंदोलन को संगठित करने का एक प्रयास है।”
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