
पोटका: पोटका प्रखंड में प्रमोटरों और बिल्डरों द्वारा कृषि योग्य जमीन की खरीद-फरोख्त पर राज्य सरकार के मानकों की अनदेखी करने के मामले में विधायक संजीव सरदार ने उपायुक्त को एक लिखित शिकायत भेजी. उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया से न केवल सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि भविष्य में किसानों और ग्रामीणों के लिए कृषि योग्य जमीन की उपलब्धता में समस्या उत्पन्न हो सकती है. इस गंभीर मुद्दे पर विधायक ने मांग की कि पोटका प्रखंड में हो रही जमीन की बिक्री पर अस्थायी रोक लगाई जाए.
उपायुक्त द्वारा जांच समिति का गठन
विधायक की शिकायत पर उपायुक्त ने तुरंत कदम उठाते हुए दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है. इस समिति में रजिस्ट्रार राम कुमार मद्धेशिया और जिला परिषद के सीईओ रजनी कांत मिश्रा को सदस्य नियुक्त किया गया है. उपायुक्त ने इन दोनों को एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. इस कदम से पोटका प्रखंड में चल रही जमीन की खरीद-फरोख्त की स्थिति की गहरी जांच की जाएगी.
नियमों का पालन और रजिस्ट्री पर रोक
झारखंड सरकार के भू-राजस्व एवं निबंधन विभाग के नियमों के अनुसार, कोई भी रैयतदार किसान अपनी कृषि योग्य भूमि को घर बनाने के लिए बेच सकता है, बशर्ते भूमि के सभी कागजात सही और पूरा हो. लेकिन यदि भूमि का प्लॉटिंग करके बेचा जा रहा है, तो प्रत्येक प्लाट के नक्शे का पास कराना जिला परिषद से अनिवार्य नहीं है. इस संदर्भ में रजिस्ट्रार राम कुमार मद्धेशिया ने रडार न्यूज 24 से बातचीत में बताया कि विभाग का ऐसा कोई गाइडलाइन नहीं है, जिसके आधार पर रजिस्ट्री पर रोक लगाई जा सके, जब तक भूमि के सभी कागजात सही और पर्याप्त हों. उन्होंने कहा कि उपायुक्त द्वारा पोटका प्रखंड में हो रही जमीन की खरीद-फरोख्त की पूरी जांच के निर्देश दिए गए हैं, और वे समय पर रिपोर्ट सौंप देंगे.
बिल्डरों का विरोध और विधायक पर आरोप
पोटका प्रखंड में प्रमोटरों और बिल्डरों द्वारा हो रही जमीन की खरीद-फरोख्त से सरकार को लाखों रुपए का राजस्व प्राप्त हो रहा है. हालांकि, विधायक संजीव सरदार इस स्थिति से खुश नहीं हैं और उन्होंने रजिस्ट्री पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की है. बिल्डरों का कहना है कि मार्च माह में अधिक मात्रा में जमीन की रजिस्ट्री होती है, ऐसे में रजिस्ट्री पर अस्थायी रोक से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बिल्डरों ने विधायक पर आरोप लगाया है कि उनकी मांग से राज्य को राजस्व का नुकसान हो सकता है.
अस्थायी रोक और इसके परिणाम
पोटका प्रखंड में हो रही जमीन की रजिस्ट्री पर अस्थायी रोक को लेकर विभागीय नियमों का पालन महत्वपूर्ण है. सवाल यह है कि विधायक संजीव सरदार ने किस आधार पर रजिस्ट्री पर रोक की मांग की, जबकि नियमों के अनुसार सभी कागजात सही होने पर रजिस्ट्री की अनुमति मिलती है. इस मुद्दे पर आने वाले समय में विभागीय जांच रिपोर्ट महत्वपूर्ण साबित होगी.
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