
नई दिल्ली: पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष या पितृ अमावस्या भी कहा जाता है, इस साल 7 सितंबर से 21 सितंबर तक मनाया जाएगा। इस पावन अवधि में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और ब्राह्मण भोजन जैसे अनुष्ठान करते हैं। इसे परिवार में एकता और परंपरा के सम्मान का प्रतीक माना जाता है।
पितरों को जल अर्पण और भोजन की परंपरा
इस समय पितरों को जल अर्पण (तर्पण) किया जाता है। ब्राह्मणों को भोजन कराने की भी परंपरा है, जिसे “पितृ भोजन” कहते हैं। मान्यता है कि इससे पूर्वज प्रसन्न होकर वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
किन सब्ज़ियों और दालों से करें परहेज
पितृ पक्ष में भोजन की पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार:
निषिद्ध सब्ज़ियां: पत्ता गोभी, कुम्हड़ा, शकरकंद, मूली, गाजर, शलजम, चुकंदर, अरबी और सूरन।
निषिद्ध दालें: चना दाल, मसूर, उड़द और सत्तू।
पूरी तरह वर्जित: प्याज और लहसुन।
इनका प्रयोग पितरों के भोजन में अशुद्धि मानी जाती है और कहा जाता है कि इससे पूर्वज अप्रसन्न हो सकते हैं।
भोजन बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
भोजन बनाने से पहले स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें। रसोई और बर्तन पूरी तरह स्वच्छ हों। अनुष्ठान के समय जूते-चप्पल पहनने से बचें।
भोजन हल्का, सात्विक और सरल बनाया जाए। इन नियमों का पालन करने से श्राद्ध कर्म सफल माने जाते हैं और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
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