
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कश्मीर में विकास को लेकर केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर विस्तार से चर्चा की. लंदन स्थित चैथम हाउस थिंक टैंक में “विश्व में भारत का उदय और भूमिका” विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “कश्मीर में अधिकांश मुद्दों का समाधान अच्छे तरीके से किया गया है.” उन्होंने विशेष रूप से तीन महत्वपूर्ण कदमों का उल्लेख किया: “धारा 370 को हटाना, कश्मीर में आर्थिक गतिविधि और सामाजिक न्याय को बहाल करना, और जम्मू-कश्मीर में चुनावों में उच्च मतदान प्रतिशत की उपलब्धि.”
Appreciated the conversation with @bronwenmaddox at @ChathamHouse this evening.
Spoke about changing geopolitics, geoeconomics, India-UK ties, neighbourhood and the Indian view of the world.
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— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) March 5, 2025
PoK की वापसी का इंतजार
एस जयशंकर ने पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से चोरी किए गए कश्मीर के हिस्से (PoK) की वापसी की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “हम जिस दिन का इंतजार कर रहे हैं, वह वह दिन होगा जब PoK भारत में वापस आएगा.” उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि इसके बाद कश्मीर का समाधान हो जाएगा.
अमेरिकी नीति और द्विपक्षीय व्यापार समझौता
विदेश मंत्री ने अमेरिका के बारे में भी अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका बहुध्रवयता की ओर बढ़ा, जो भारत के हितों के लिए फायदेमंद है. इसके साथ ही उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार समझौते की आवश्यकता पर भी बल दिया.
क्वाड और चीन पर विदेश मंत्री की राय
क्वाड (क्वाड्रीलैटरल सुरक्षा संवाद) पर बात करते हुए एस जयशंकर ने कहा, “क्वाड एक महत्वपूर्ण साझा उद्यम है, जिसमें सभी सदस्य अपने-अपने हिस्से का योगदान देते हैं. इसमें कोई मुफ्त शर्त नहीं है, और यह एक ऐसा मॉडल है जो काम करता है.”
चीन के संबंध में उन्होंने कहा, “चीन के साथ हमारा एक अनोखा संबंध है, क्योंकि दोनों देशों की आबादी दो अरब से अधिक है. हम चाहते हैं कि हमारे रिश्ते इस तरह से विकसित हों, जिसमें दोनों देशों के हितों का सम्मान किया जाए और संवेदनशील विषयों पर समझ बनाई जाए.”
विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस बयान से यह साफ होता है कि भारत कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अपने हितों के लिए एक स्पष्ट और सशक्त नीति पर कायम है. उन्होंने कश्मीर में सुधारों के जरिए अपनी स्थिति मजबूत की है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की भूमिका को और स्पष्ट किया है.