
नई दिल्ली: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, जिन्होंने अंतरिक्ष में 286 दिन बिताए, अब धरती पर लौट आई हैं. साथ में उनके साथी अंतरिक्ष यात्री बैरी विल्मोर और दो अन्य यात्रियों को लेकर यान तड़के 3.27 बजे फ्लोरिडा के समुद्र तल पर सुरक्षित रूप से उतरा. यह मिशन पूरी दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है.
वापसी के ऐतिहासिक क्षण
सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री, बुच विल्मोर, नौ महीने बाद पृथ्वी पर लौटे हैं. नासा की टीम, जो अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी को सुनिश्चित करती है, उनके स्वागत के लिए समुद्र में मौजूद थी. एक दिलचस्प दृश्य तब देखा गया, जब सुनीता के कैप्सूल के चारों ओर डॉल्फिन का एक झुंड तैरता हुआ दिखाई दिया, जैसे वे इस ऐतिहासिक वापसी का स्वागत कर रहे हों.
कैप्सूल का सुरक्षित आगमन स्पेसएक्स द्वारा किए गए एक प्रमुख कार्य को दर्शाता है, जब यह फ्लोरिडा की खाड़ी में पैराशूट के जरिए उतरता है.
संपर्क टूटने का तनावपूर्ण पल
हालांकि, मिशन के दौरान एक घबराहट भरा पल आया, जब अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर आ रहा क्रू ड्रैगन कैप्सूल मिशन नियंत्रकों से कुछ समय के लिए संपर्क खो बैठा. यह स्थिति बेहद चिंताजनक थी, क्योंकि अंतरिक्ष यान के पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के समय यह सात मिनट का ‘ब्लैकआउट’ बेहद निर्णायक होता है. इस दौरान यान का बाहरी तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है, जिससे क्रैश होने का खतरा बढ़ सकता है.
लेकिन लगभग सात मिनट बाद, बुधवार तड़के 3:20 बजे स्पेसक्राफ्ट से फिर से संपर्क स्थापित हुआ, और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई.
वायुमंडलीय प्रवेश और ब्लैकआउट
टाइस ने बताया कि ब्लैकआउट की अवधि मिशन पर निर्भर करती है, लेकिन यह हर ड्रैगन कैप्सूल के साथ होता है जब यह वायुमंडल में वापस आता है. इस दौरान प्लाज्मा का निर्माण होता है, जिससे संचार में बाधा उत्पन्न होती है.
नासा के अंतरिक्ष यात्री वुडी होबर्ग ने बताया कि अंतरिक्ष यान पर उपस्थित सभी अंतरिक्ष यात्री इस क्षण का पूरी तरह से शांतिपूर्वक इंतजार कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वायुमंडलीय प्रवेश के बाद ड्रैगन कैप्सूल के अंदरूनी हिस्से को ठंडा किया जाता है, जिससे यात्रियों को सामान्य तापमान पर बनाए रखा जा सके.
कल्पना चावला की दुर्घटना की यादें
2003 में, जब नासा का अंतरिक्ष यान कोलंबिया पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर रहा था, तब एक दर्दनाक दुर्घटना हुई थी, जिसमें भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला भी शिकार हो गईं थीं. यह हादसा आज भी अंतरिक्ष मिशन की कठिनाइयों और सावधानियों की याद दिलाता है.
संदेश और भविष्य
यह मिशन न केवल एक सफलता है, बल्कि अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के लिए गर्व और देशवासियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक भी बन गया है. इस ऐतिहासिक वापसी ने दिखा दिया कि तकनीकी चुनौती और कड़ी मेहनत से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है.
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