
जमशेदपुर: विश्व आत्मकेंद्रितता दिवस के अवसर पर आत्मकेंद्रित व्यक्तियों की अनूठी प्रतिभाओं का जश्न मनाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने आत्मकेंद्रितता को समझने और समाज में इसे स्वीकारने के महत्व पर विचार साझा किए.कार्यक्रम में डॉ. साहिर पाल, सिविल सर्जन, पूर्वी सिंहभूम ने आत्मकेंद्रित व्यक्तियों के लिए समावेशी वातावरण तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने आत्मकेंद्रितता की प्रारंभिक पहचान और सही समय पर किए गए हस्तक्षेप के महत्व को भी रेखांकित किया.
न्यूरोडाइवर्सिटी को अपनाने की अपील
पी. बाबू राव, सचिव, PAMHJ ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया और न्यूरोडाइवर्सिटी (मस्तिष्क की विविधता) को समझने और स्वीकारने की आवश्यकता पर भावनात्मक रूप से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि आत्मकेंद्रित व्यक्तियों की विशेष क्षमताओं को पहचानना और उनका समर्थन करना समाज की जिम्मेदारी है.कार्यक्रम का सबसे मार्मिक क्षण तब आया जब आत्मकेंद्रित बच्चों ने आकाश में गुब्बारे छोड़े. यह नजारा आशा, स्वतंत्रता और आत्मकेंद्रित व्यक्तियों की असीम संभावनाओं का प्रतीक बना.
सक्रिय भागीदारी और प्रेरणादायक संदेश
इस अवसर पर पुष्पा और लता ने विश्व आत्मकेंद्रितता दिवस के महत्व को रेखांकित किया. वहीं, साबिर सिंह सहोता और अमृता कुलताज ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी से कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया.
खुशियों से भरा समापन
कार्यक्रम का समापन आत्मकेंद्रित बच्चों के बीच मिठाइयों और उपहारों के वितरण के साथ हुआ, जिससे पूरे वातावरण में खुशी फैल गई. इस आयोजन ने समाज में दया, सहानुभूति और स्वीकृति का संदेश प्रेषित किया.
समावेशी समाज की ओर एक कदम
विश्व आत्मकेंद्रितता दिवस हमें सिखाता है कि विविधताओं का सम्मान किया जाए और एक अधिक समझदार व समावेशी समाज का निर्माण किया जाए. यह दिन हमें याद दिलाता है कि आत्मकेंद्रित व्यक्तियों की क्षमताओं को न केवल पहचाना जाए, बल्कि उन्हें समान अवसर भी प्रदान किए जाएं.
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