
नई दिल्ली: कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भारत को G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रण न मिलने को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार पर कड़ी आलोचना की है. उन्होंने इसे भारत की कूटनीतिक विफलता बताते हुए कहा कि भारत की वैश्विक छवि को गंभीर नुकसान हुआ है और इसकी सीधी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर है.
पाकिस्तान को फिर से ‘हीरो’ बना रही है भाजपा सरकार?
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 2014 के पहले भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर आतंकवादी देश की तरह प्रस्तुत करना शुरू कर दिया था, जिससे दुनिया भी उसे उसी नजर से देखती थी. लेकिन भाजपा सरकार ने सीजफायर कर, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने झुककर भारत की रणनीतिक स्थिति कमजोर कर दी.
उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी की सरकार पाकिस्तान के लिए IMF से मिलने वाले 3 बिलियन डॉलर के राहत पैकेज को रुकवा भी नहीं सकी और ADB प्रमुख से मुलाकात के दो दिन बाद ADB द्वारा पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर देना यह दर्शाता है कि भारत की बात कोई सुन नहीं रहा.
आतंकवाद रोधी समिति में पाकिस्तान, भारत क्यों मौन?
श्रीनेत ने सवाल उठाया कि जिस पाकिस्तान को भारत बार-बार आतंकवाद का केंद्र बताता है, वही पाकिस्तान आज संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी समिति का उपाध्यक्ष बना दिया गया है. उन्होंने कहा कि यह भारत की वैश्विक लॉबिंग की असफलता है.
कुवैत, अमेरिका, रूस और कनाडा पर भी उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि 1 जून को भारतीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल कुवैत जाकर पक्ष रखता है, लेकिन 27 तारीख को कुवैत पाकिस्तान पर लगे 19 साल पुराने वीजा प्रतिबंध को हटा लेता है. यह भारत के प्रभाव की गिरावट को दर्शाता है.
उन्होंने आगे कहा कि रूस चुप है, अमेरिका पाकिस्तान के नेताओं की तारीफ कर रहा है, तुर्की से 300 मिलियन डॉलर की डील हो रही है और वही तुर्की भारत विरोधी हथियार पाकिस्तान को दे रहा है.
“जब मनमोहन सिंह बोलते थे, दुनिया सुनती थी”
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 2010 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था कि जब भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह बोलते हैं, तो पूरी दुनिया सुनती है. लेकिन आज हालात यह हैं कि वही कनाडा जो तब सम्मान देता था, अब भारत को G7 जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक मंच पर आमंत्रित नहीं कर रहा.
क्या विदेश नीति में बदलाव की जरूरत है?
सुप्रिया श्रीनेत की तीखी टिप्पणियों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारत की वैश्विक स्थिति कमजोर हो रही है? क्या भारत अब वह कूटनीतिक नेतृत्व खो रहा है, जो पहले उसकी पहचान थी?
इस पर सरकार की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विपक्ष ने विदेश नीति को लेकर सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका को कठघरे में खड़ा कर दिया है.
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