Gua: सेल को मिली हरी झडी, किरीबुरु और मेघाहातुबुरु खदानों को 247 हेक्टेयर का स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लियरेंस

Spread the love

 

 

गुवा : सेल किरीबुरु और मेघाहातुबुरु लौह अयस्क खदानों के लिए अब तक की सबसे बड़ी खुशखबरी सामने आई है। वर्षों की प्रतीक्षा के बाद किरीबुरु स्थित साउथ ब्लॉक और मेघाहातुबुरु के सेंट्रल ब्लॉक खदान क्षेत्र के कुल 247 हेक्टेयर पहाड़ी भूभाग को स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लियरेंस मिल गया है। इस निर्णय के साथ ही दोनों खदानों में नए क्षेत्र में खनन गतिविधियों का रास्ता साफ हो गया है। अब सेल प्रबंधन राज्य सरकार और वन विभाग द्वारा निर्धारित सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इन पहाड़ियों पर लौह अयस्क की खुदाई शुरू कर सकेगा। 247 हेक्टेयर स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लियरेंस मिलने की पुष्टि सारंडा के डीएफओ अविरुप सिन्हा ने भी किया है।

कच्चे माल की आपूर्ति इन्हीं दो खदानों से होती है

पिछले कई महीनों से किरीबुरु और मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन इस अनुमति के लिए लगातार प्रयासरत था। यदि यह मंजूरी नहीं मिलती, तो दोनों खदानों से लौह अयस्क उत्पादन किसी भी समय ठप हो सकता था। विशेषकर मेघाहातुबुरु खदान की स्थिति अत्यंत गंभीर हो चुकी थी। यहां खनन योग्य उच्च गुणवत्ता वाले अयस्क का भंडार लगभग समाप्त हो चुका था, और खदान प्रबंधन को मजबूरन इधर-उधर से लो ग्रेड अयस्क निकालकर स्टील प्लांटों को भेजना पड़ रहा था। सेल के बोकारो, राउरकेला समेत कई स्टील संयंत्रों की कच्चे माल की आपूर्ति इन्हीं दो खदानों से होती है। इन खदानों के ठप पड़ने की स्थिति में न केवल उत्पादन बाधित होता, बल्कि संयंत्रों की कार्यक्षमता और निरंतरता पर भी संकट आ सकता था। इसीलिए यह अनुमति सिर्फ खदानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे लौह इस्पात उत्पादन चेन के लिए वरदान साबित हुई है।

स्थानीय विकास कार्यों में जाते हैं

अगर खदानें बंद होतीं, तो हजारों स्थानीय लोग बेरोजगार हो जाते। साथ ही, खदानों से उत्पन्न डीएमएफटी फंड से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और बुनियादी ढांचे की जो योजनाएं चलती हैं, वे भी प्रभावित होतीं। सेल के इन खदानों से हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये डीएमएफटी फंड के माध्यम से स्थानीय विकास कार्यों में जाते हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में स्कूल, अस्पताल, सड़क, जल योजना, स्वच्छता अभियान आदि को बल मिलता है।

आदिवासी क्षेत्र के जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण

स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लियरेंस मिलने के साथ ही किरीबुरु और मेघाहातुबुरु खदानों की जीवन अवधि (माइनिंग लाइफ) में लगभग 20 वर्षों की बढ़ोतरी हुई है। अब खदान प्रबंधन अगले दो दशकों तक निर्बाध रूप से खनन कर सकेगा। यह निर्णय न केवल सेल बल्कि झारखंड के औद्योगिक भविष्य और आदिवासी क्षेत्र के जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सूत्रों के अनुसार, पिछले 15 वर्षों से खदान प्रबंधन की ओर से वन विभाग और संबंधित मंत्रालयों के बीच तीव्र संवाद और कागजी प्रक्रिया चल रही थी। अंततः यह प्रयास रंग लाया और सेल को वह मंजूरी मिली जिसका वर्षों से इंतजार था।

इसे भी पढ़ें : बहरागोड़ाः चार धाम यात्रा से लौट रही यात्री बस दुर्घटनाग्रस्त, सभी यात्री सुरक्षित


Spread the love
  • Related Posts

    Lions International के साथ मिलकर Rambha College में हरियाली का संकल्प

    Spread the love

    Spread the loveपोटका: रविवार को रंभा कॉलेज ऑफ नर्सिंग, पोटका परिसर में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल के तहत वृहद पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया. यह आयोजन…


    Spread the love

    Jamshedpur: मिर्जाडीह फैक्ट्री विस्फोट मामले में कंपनी अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज

    Spread the love

    Spread the loveबोड़ाम: बोड़ाम प्रखंड के मिर्जाडीह स्थित एसटीपी लिमिटेड कंपनी में हाल ही में हुए विस्फोट और जहरीली गैस रिसाव की गंभीर घटना के बाद कंपनी अधिकारियों के विरुद्ध…


    Spread the love

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *