
जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखंड अंतर्गत लायलोम गांव में शनिवार को झारखंड के प्रतिष्ठित जन आंदोलनकारी स्वर्गीय कपूर बागी की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. कार्यक्रम में डिमना डैम विस्थापितों सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही. सभा को संबोधित करते हुए ग्राम प्रधान ने कहा कि कपूर बागी ने झारखंड मुक्ति वाहिनी के बैनर तले डिमना डैम से विस्थापित ग्रामीणों की आवाज़ को टाटा कंपनी और शासन-प्रशासन के समक्ष बुलंद किया. उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है कि आज टाटा प्रबंधन विस्थापितों के साथ वार्ता के लिए तत्पर है. सभा में वक्ताओं ने भावुक स्वर में कहा कि कपूर बागी केवल एक नाम नहीं, बल्कि जनसंघर्ष की चेतना का प्रतीक हैं. उन्होंने डिमना डैम विस्थापन के खिलाफ तीन दिन का ऐतिहासिक जल सत्याग्रह किया था और सदा जमीनी हकीकत के साथ खड़े रहे.
उनकी पहचान सिर्फ एक जन नेता के रूप में नहीं रही, बल्कि वे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई होते हुए भी सत्ता और विशेषाधिकार से दूर रहकर संघर्ष की राह पर अडिग रहे.
“सच कहना अगर बगावत है…”—गूंजा प्रेरक नारा
सभा के दौरान कपूर बागी का प्रसिद्ध नारा—
“सच कहना अगर बगावत है, तो समझो हम भी बागी हैं!”
—उपस्थित जनसमूह की जुबान पर था. यह नारा आज भी झारखंड के सामाजिक आंदोलनों में ज्वलंत चेतना बनकर जीवित है. सभा के समापन पर उपस्थित लोगों ने कपूर बागी के अधूरे कार्यों और आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया. विस्थापितों ने स्पष्ट किया कि वे जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के साथ-साथ पुनर्वास और अधिकारों की लड़ाई तब तक जारी रखेंगे, जब तक न्याय की पूर्ण स्थापना नहीं हो जाती.
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