
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुंभ मेला 2025 में मौनी अमावस्या की रात्रि पर हुई भगदड़ में जान गंवाने वाले मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि भुगतान में लगातार हो रही देरी को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की तीखी आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि सरकार का रवैया आम नागरिकों के प्रति उदासीनता का प्रतीक है और यह अस्वीकार्य है. जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस संदीप जैन की अवकाशकालीन पीठ ने स्पष्ट किया कि जब राज्य सरकार ने सार्वजनिक रूप से मुआवजे का ऐलान किया था, तो उसका कर्तव्य था कि वह पीड़ित परिवारों को सम्मानजनक और समयबद्ध भुगतान करे. सरकार की यह देरी और लापरवाही नागरिकों के प्रति अपमानजनक आचरण के समान है.
मेडिकल कॉलेज द्वारा शव सौंपने में हुई अनियमितता पर चिंता
कोर्ट ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज द्वारा भगदड़ में मारे गए एक मृतका के शव को बिना पोस्टमॉर्टम कराए उसके परिवार को सौंपे जाने पर भी गहरी चिंता जताई है. इस मामले में मृतका के पति की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें बताया गया कि मृतका की पसलियां टूट चुकी थीं और उसकी मौत गंभीर चोटों के कारण हुई थी.
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या मृतका को अस्पताल में जीवित लाया गया था या मृत ही, और शव किस स्थिति में मोर्चरी पहुंचा, जहां से उसे परिजनों को सौंपा गया.
“यदि किसी व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तो सरकारी अभिलेखों में उसका उल्लेख होना चाहिए… यदि कोई मृत लाया गया था, तो उसका भी रिकॉर्ड होना आवश्यक है,” न्यायालय ने कहा.
मुआवजे में हो रही देरी पर जताई गंभीर चिंता
कोर्ट ने यह भी कहा कि फरवरी में शव सौंपे जाने के बावजूद अब तक मुआवजा न मिलना अत्यंत चिंताजनक है. याचिका को प्रतिनिधित्व मानते हुए राज्य को निर्देश दिया गया कि वह तत्काल उचित कार्रवाई करे.
“जब राज्य ने मुआवजे की योजना घोषित की, तब उसका दायित्व बनता है कि वह उसे गरिमा और समयबद्धता से पूरा करे,” हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की.
मृत्यु और इलाज का तिथि वार ब्यौरा प्रस्तुत करने का आदेश
कोर्ट ने राज्य सरकार एवं संबंधित चिकित्सा संस्थानों को निर्देश दिया कि वे 28 जनवरी 2025 से कुंभ मेले की समाप्ति तक हुई सभी मौतों और चिकित्सा प्रबंधन का तिथि वार विस्तृत ब्यौरा हलफनामे के रूप में प्रस्तुत करें.
इस ब्यौरे में स्पष्ट किया जाना चाहिए कि कुल कितने मरीज अस्पताल लाए गए, कितने मृत लाए गए, कितनों को मृत घोषित किया गया, और जिन चिकित्सकों ने इलाज किया, उनके नाम भी शामिल हों.
साथ ही राज्य सरकार को मुआवजा दावों की पूरी जानकारी – प्राप्त, निस्तारित एवं लंबित – भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है.
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