
- नया पंबन ब्रिज: जहां आस्था, विज्ञान और विकास एक साथ मिलते हैं
- समुद्र के ऊपर से जहाज भी, नीचे से ट्रेन भी! जानिए कैसा है नया पंबन ब्रिज
नई दिल्ली: रामनवमी के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु को बड़ी सौगात देने जा रहे हैं. आज भारत को अपना पहला वर्टिकल लिफ्ट समुद्री पुल मिलने जा रहा है. इस तकनीक आधारित पुल का नाम है नया पंबन ब्रिज, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा. इसके साथ ही रामेश्वरम-तांबरम (चेन्नई) के बीच नई ट्रेन सेवा की शुरुआत भी की जाएगी.
समुद्र के ऊपर उठता है यह ब्रिज
वर्टिकल लिफ्ट पुल की खासियत यह होती है कि इसका एक हिस्सा ऊपर-नीचे उठ सकता है, जिससे समुद्र में चलने वाले जहाज बिना रुके गुजर सकते हैं. यह न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि तकनीकी दृष्टि से देश की आत्मनिर्भरता की मिसाल भी है. पुल का उद्घाटन दोपहर लगभग 12 बजे होगा. इसके बाद 12:45 बजे प्रधानमंत्री रामेश्वरम के प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा करेंगे. दोपहर 1:30 बजे वे राज्य की अन्य रेल और सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे और जनसभा को संबोधित करेंगे.
नया पंबन ब्रिज: भविष्य का मार्ग
लगभग 2.08 किलोमीटर लंबे इस ब्रिज की लागत 700 करोड़ रुपये से अधिक है. यह पुल केवल स्टील और कंक्रीट का ढांचा नहीं, बल्कि भारतीय इंजीनियरिंग की एक बेमिसाल उपलब्धि है. यह पुल रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है और आस्था के साथ-साथ पर्यटन और व्यापार को भी गति देगा.
111 वर्षों के बाद आधुनिक रूप में लौटा पंबन ब्रिज
पहला पंबन ब्रिज वर्ष 1914 में तैयार हुआ था. यह भारत का पहला समुद्री रेल पुल था. अब, 111 साल बाद, यह पुल अत्याधुनिक तकनीक और नए स्वरूप के साथ देश को समर्पित किया जा रहा है.
जहाज और ट्रेन दोनों के लिए सुगम मार्ग
इस पुल में 99 स्पैन (18.3 मीटर each) और 72.5 मीटर का एक वर्टिकल लिफ्ट स्पैन शामिल है, जो 17 मीटर की ऊंचाई तक उठ सकता है. यह पुल पुराने ब्रिज से 3 मीटर ऊंचा है, जिससे बड़े जहाज आसानी से गुजर सकेंगे. ट्रेन की अधिकतम गति 160 किमी प्रति घंटा है, हालांकि फिलहाल इसे 80 किमी प्रति घंटा तक सीमित किया गया है.
निर्माण और सुरक्षा के आंकड़े
इस पुल के निर्माण पर लगभग 750 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के डायरेक्टर एम. पी. सिंह के अनुसार, यह पुल अगले 100 वर्षों तक 80 किमी प्रति घंटे की गति से सुरक्षित संचालन के लिए सक्षम है. तकनीकी रूप से यह 160 किमी प्रति घंटे की गति भी सहन कर सकता है, लेकिन रामेश्वरम छोर पर वक्रता के कारण फिलहाल इसकी गति सीमित रखी गई है.
8,300 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास
प्रधानमंत्री मोदी इस अवसर पर 8,300 करोड़ रुपये से अधिक लागत की विभिन्न रेल और सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास भी करेंगे. इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
एनएच-40 के वालाजापेट-रानीपेट खंड को चार लेन में परिवर्तित करना (28 किमी)
एनएच-332 का विलुप्पुरम-पुदुचेरी खंड (29 किमी)
एनएच-32 का पूंडियनकुप्पम-सत्तनाथपुरम खंड (57 किमी)
एनएच-36 का चोलापुरम-तंजावुर खंड (48 किमी)
पर्यटन, व्यापार और किसानों को मिलेगा लाभ
ये राजमार्ग तीर्थ स्थलों, पर्यटन केंद्रों और शहरों को आपस में जोड़ेंगे. इससे यात्रा का समय घटेगा, अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और बंदरगाहों तक पहुंच सरल होगी. साथ ही स्थानीय किसानों को अपने उत्पाद बाजार तक पहुँचाने में मदद मिलेगी और लघु उद्योगों व चमड़ा उद्योग को गति मिलेगी.
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