
चांडिल: सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत झाबरी पंचायत के जांता गांव में एक बुजुर्ग महिला सुमित्रा लायक वर्षों से अपने वैध जमीन पर कब्जे की लड़ाई लड़ रही हैं, लेकिन न्याय अब तक कोसों दूर है।
सुमित्रा लायक और उनके पति वर्तमान में एक एल्वेस्टर (टीनशेड) घर में रहने को मजबूर हैं, जबकि उनके पास खाता संख्या-1, प्लॉट संख्या-13 व 23 में कुल 97 डिसमिल जमीन का कागजी प्रमाण मौजूद है। इनमें से 66 डिसमिल जमीन उनके पिता कमल सिंह के नाम से 2005 में खरीदी गई थी।
कागज़ मौजूद, फिर भी नहीं मिला दखलनामा
सुमित्रा लायक ने बताया कि उनके पास जमीन से संबंधित सभी वैध कागजात हैं, फिर भी अब तक उन्हें दखलनामा नहीं मिल सका है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी जमीन पर कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा जबरन कब्जा किया गया है और वहां अवैध निर्माण कार्य भी जारी है।
उन्होंने चांडिल अंचल कार्यालय से लेकर उपायुक्त कार्यालय तक बार-बार आवेदन दिया, जिस पर वर्ष 2018 में जमीन की मापी भी कराई गई थी।
प्रशासनिक आदेशों के बाद भी कार्रवाई नहीं
10 अगस्त 2018 को उपायुक्त के आदेश पर भूमि की मापी कराई गई, लेकिन किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुँचा गया। 05 दिसंबर 2024 को अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा जांच का आदेश दिया गया, जिस पर चांडिल अंचल के सीआई मनोज महतो मौके पर पहुंचे।
चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि अवैध कब्जेदार व्यक्ति सीआई के रिश्तेदार हैं। इसके बाद, सीआई पर रिश्तेदारी निभाने और घरेलू अभद्र भाषा में बात करने के आरोप लगे। सुमित्रा लायक ने कहा कि सीआई ने उनसे कहा – “बिना पैसा के जमीन का काम नहीं होता।”
अब सवाल यह है – क्या मिलेगा सुमित्रा लायक को न्याय?
सुमित्रा लायक ने अपनी व्यथा बार-बार सरकार व प्रशासन के समक्ष रखी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा, “सरकार से अब यही गुहार है कि मेरी जमीन मुझे दिलाई जाए, मुझे न्याय मिले।”
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस गंभीर जमीन विवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों पर क्या रुख अपनाता है।
क्या एक बुजुर्ग महिला को, जिसने जीवन भर की पूंजी से जमीन खरीदी थी, न्याय मिलेगा या फिर उसे और इंतजार करना पड़ेगा?
यह सवाल अब चांडिल प्रशासन के सामने एक नैतिक और संवैधानिक परीक्षा बनकर खड़ा है।
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