IIT-ISM Convocation 2025: धनबाद में छात्रों से बोलीं राष्ट्रपति- प्रगति की राह पर प्रकृति के साथ सामंजस्य जरूरी

Spread the love

धनबाद:  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-आईएसएम), धनबाद के 45वें दीक्षांत समारोह में शिरकत की. अपने संबोधन में उन्होंने संस्थान की लगभग सौ वर्षों की गौरवशाली यात्रा को श्रद्धा के साथ रेखांकित किया.

राष्ट्रपति ने कहा कि खनन और भूविज्ञान में दक्ष मानव संसाधन तैयार करने के उद्देश्य से स्थापित यह संस्थान आज विविध शैक्षणिक और अनुसंधान क्षेत्रों में अग्रणी बन चुका है. उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि संस्थान ने एक ऐसा नवाचार-आधारित इकोसिस्टम तैयार किया है, जो लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को केंद्र में रखता है.

राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी-आईएसएम देश के विकास में निर्णायक भूमिका निभा रहा है. यह संस्थान न केवल उत्कृष्ट इंजीनियर और शोधकर्ता तैयार कर रहा है, बल्कि ऐसे पेशेवर भी गढ़ रहा है जो संवेदनशील, उद्देश्यपूर्ण और सामाजिक सरोकारों से जुड़े हैं. उन्होंने इसे भारत के भविष्य को आकार देने वाली प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया.

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने ध्यान दिलाया कि जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी, डिजिटल व्यवधान और सामाजिक असमानताएँ — ये सब विश्व को नई जटिलताओं की ओर ले जा रही हैं. ऐसे में आईआईटी-आईएसएम जैसे संस्थानों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. उन्होंने संस्थान से आग्रह किया कि वह टिकाऊ और अभिनव समाधानों की खोज में अग्रणी बने.

शिक्षा को व्यावहारिक और उद्योग-अनुकूल बनाने की जरूरत
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी उसका युवा मानव संसाधन है. तकनीकी शिक्षा और डिजिटल कौशल तक पहुंच में वृद्धि भारत को एक प्रौद्योगिकीय महाशक्ति बना रही है. लेकिन इस दिशा को और सशक्त बनाने के लिए शिक्षा को नवोन्मेष-केंद्रित, व्यावहारिक और उद्योग-अनुकूल बनाना जरूरी है. इससे युवाओं की प्रतिभा को सही दिशा मिलेगी और वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे.

पेटेंट संस्कृति और समग्र सोच का विकास जरूरी
उन्होंने स्टार्टअप्स और अनुसंधान-आधारित शिक्षा के साथ-साथ पेटेंट संस्कृति को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई. छात्रों में समग्र सोच और बहुविषयक दृष्टिकोण विकसित करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जटिल समस्याओं के रचनात्मक समाधान इसी से मिल सकते हैं.

अपने अंतिम संदेश में राष्ट्रपति ने छात्रों से अपील की कि वे अपने ज्ञान को केवल निजी उन्नति तक सीमित न रखें. वह ज्ञान जनकल्याण और न्यायपूर्ण भारत के निर्माण में उपयोग हो. उन्होंने हरित भारत के निर्माण की बात करते हुए कहा कि विकास प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर होना चाहिए, न कि उसके विरुद्ध.

राष्ट्रपति ने यह भी जोड़ा कि बुद्धिमत्ता के साथ सहानुभूति, नैतिकता और उत्कृष्टता का मेल ही एक बेहतर विश्व की आधारशिला रख सकता है. क्योंकि नवाचार तभी सार्थक होता है, जब उसमें करुणा हो.

 

इसे भी पढ़ें : Jharkhand: थोड़ी देर में IIT-ISM धनबाद पहुँचेंगी राष्ट्रपति, 20 गोल्ड मेडलिस्ट समेत 1800 छात्रों को देंगी डिग्री


Spread the love
  • Related Posts

    Jharkhand: प्रधानाध्यापिका को नहीं मालूम ‘देश का शिक्षा मंत्री’ – बच्चों ने कहा PM हैं हेमंत सोरेन!

    Spread the love

    Spread the loveपलामू:  उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय करमा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न केवल सरकारी विद्यालयों की व्यवस्था की पोल खोल दी है, बल्कि शिक्षकों की योग्यता…


    Spread the love

    Jharkhand: शिबू सोरेन की तबीयत नाजुक, CM हेमंत फिर पहुंचे दिल्ली

    Spread the love

    Spread the loveरांची:  झारखंड के दिशोम गुरु और जेएमएम के सर्वोच्च नेता शिबू सोरेन की तबीयत एक बार फिर बिगड़ गई है. वे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती…


    Spread the love

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *