पोटका: घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में दलित समाज की भूमिका इस बार निर्णायक मानी जा रही है। आंकड़ों के अनुसार, क्षेत्र में लगभग 13,000 दलित मतदाता हैं, जो चुनाव के समीकरण को सीधे प्रभावित कर सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार घाटशिला, मुसाबनी, जादूगोड़ा और आसपास के इलाकों में टिकी मुखी, जो मुखी समाज विकास समिति के जिला उपाध्यक्ष एवं जिला बीस सूत्री सदस्य हैं, का दलित समाज पर गहरा असर माना जाता है।
चर्चा है कि दोनों प्रमुख प्रत्याशी टिकी मुखी और उनके समर्थकों को अपने पक्ष में करने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं। जनसंपर्क, संवाद और स्थानीय बैठकें आयोजित कर दलित मतों को साधने की कोशिश जारी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि दलित मत एकजुट होकर किसी एक प्रत्याशी के पक्ष में जाएं, तो चुनाव परिणाम पर इसका बड़ा और निर्णायक असर पड़ेगा।
टिकी मुखी की पकड़ केवल सामाजिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में भी मजबूत है। जादूगोड़ा में यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में कार्यरत हजारों अस्थायी मजदूरों के बीच उनकी गहरी पैठ है। उन्होंने मजदूरों के अधिकार और नियमितीकरण की मांग उठाकर उनकी मदद की है।
स्थानीय जानकारों का कहना है कि इस बार घाटशिला उपचुनाव सिर्फ प्रत्याशियों की लोकप्रियता नहीं, बल्कि दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के सामूहिक मत व्यवहार का भी बड़ा इम्तिहान होगा।
आचार संहिता लागू होने के बाद प्रशासन की सख्त निगरानी में सभी दलों की गतिविधियां चल रही हैं। इससे प्रत्याशियों को नियमों के दायरे में रहकर प्रचार करना पड़ रहा है।