
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की चर्चित पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्या और उनके सफाईकर्मी पति आलोक मौर्या एक बार फिर सुर्खियों में हैं. आलोक मौर्या ने अपनी आर्थिक विवशता का हवाला देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने अफसर पत्नी से गुजारा भत्ता दिए जाने की मांग की है.
कोर्ट ने इस मामले में ज्योति मौर्या को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 8 अगस्त तय की है.
गांव की गंदगी, हाजिरी की कहानी और आलोक की छवि
प्रतापगढ़ जिले के गोगौर गांव में सफाईकर्मी के पद पर तैनात आलोक मौर्या की कार्यशैली को लेकर गांववालों में असंतोष है. स्थानीय लोगों ने बजबजाती नालियां दिखाते हुए कहा कि “हम ही हैं जो सफाई करते हैं. आलोक मौर्या तो केवल प्रधान के घर आते हैं और हफ्तेभर की हाजिरी लगाकर चले जाते हैं.”
पूर्व प्रधान प्रतिनिधि अरविंद पांडेय ने सवाल उठाया कि “आज़मगढ़ निवासी आलोक मौर्या की तैनाती प्रतापगढ़ के गांव में कैसे हुई?” उनका आरोप है कि आलोक ब्लॉक मुख्यालय में अधिक रहते हैं, और गांव में शायद ही कभी दिखाई देते हैं.
“हम ही नाली साफ करते हैं” : ग्रामीणों की पीड़ा
गांव के निवासी दिनेश कुमार ने बताया कि नालियों से इतनी बदबू आती है कि रहना मुश्किल हो जाता है. “हम खुद ही झाड़ू उठाते हैं. आलोक मौर्या को कभी सफाई करते नहीं देखा.”
राम कैलाश ने कहा, “आलोक के हाथ में कभी फावड़ा नहीं देखा. कभी-कभी बाइक से आते हैं और फिर चले जाते हैं.”
राज कुमार तिवारी और विजय कुमार ने यह भी दावा किया कि “आलोक खुद को सफाईकर्मी नहीं, बल्कि BLO बताते हैं.”
सिर्फ नाम की तैनाती, ठाठ की जिंदगी
गांव के कुछ निवासियों का कहना है कि जबसे आलोक मौर्या की पत्नी PCS बनीं, तब से उन्होंने सफाईकर्मी की भूमिका छोड़ दी है. “अब वह सप्ताह में एक बार आते हैं, हाजिरी लगाते हैं और पूरी तनख्वाह 47,500 रुपये उठा लेते हैं.”
कानूनी लड़ाई की शुरुआत : हाईकोर्ट की दहलीज़ पर गुजारा भत्ता याचिका
आलोक मौर्या के वकील गौरव त्रिपाठी ने बताया कि जिला अदालत से भत्ता याचिका खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में गुहार लगाई गई है. उनका कहना है कि आलोक मौर्या इस समय कानूनी लड़ाई लड़ने की स्थिति में नहीं हैं.
वहीं, ज्योति मौर्या ने जवाब में कहा, “मैं खुद दो बच्चों की परवरिश कर रही हूं. उनका पालन-पोषण, शिक्षा और खर्च मैं देखती हूं. आलोक तो खुद सरकारी नौकरी में हैं, उन्हें किस बात का भत्ता चाहिए?”
शादी, संघर्ष और विवाद की लंबी कहानी
ज्योति और आलोक की शादी 2010 में हुई थी. उस वक्त ज्योति एक सरकारी शिक्षक थीं, बाद में उन्होंने PCS परीक्षा उत्तीर्ण की. आलोक का दावा है कि उन्होंने पत्नी को पढ़ाया-लिखाया, प्रयागराज में कोचिंग दिलवाई. 2015 में ज्योति का चयन PCS में हुआ. उसी साल उन्हें दो जुड़वां बेटियाँ भी हुईं.
आलोक के अनुसार 2020 में रिश्ते में तनाव शुरू हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि ज्योति की करीबी एक जिला कमांडेंट से बढ़ गई. 2022 में कथित रूप से लखनऊ के होटल में दोनों को रंगे हाथ पकड़ने की बात भी आलोक ने सार्वजनिक रूप से कही.
आरोपों के बाद रिश्तों में दरार गहराती गई और अब यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है.
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