बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच ने डहरे टुसू पर्व पर निकाला जुलूस, यातायात व्यवस्थित नहीं होने के कारण जगह-जगह लगा जाम

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आदित्यपुर-कांड्रा रोड में जुलूस के कारण लगा घंटो जाम, सर्विस रोड पर विपरीत दिशा से आने-जाने को विवश हुए राहगीर

डिमना रोड से जुलूस के साथ नाचते गाते आम बगान पहुंचे सैकड़ो लोग

जमशेदपुर/आदित्यपुर :   झारखंड की परंपरा व संस्कृति को जीवंत रखने के उद्देश्य से बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच की ओर से रविवार को साकची के आम बगान मैदान में डहरे टुसु परब (पर्व) का आयोजन किया गया. पर्व में शामिल होने के लिए कोल्हान के अलावे समीपवर्ती जगहों से भी लोग कार्यक्रम में पहुंचे. कई क्षेत्रों से लोग जुलूस की शक्ल में कार्यक्रम में आए. मानगो के डिमना रोड से निकाले गए जुलूस में सैकड़ो की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. ठंड के कारण तय समय से काफी विलंब से जुलूस प्रारंभ हुआ. जुलूस में छऊ नृत्य के अलावे झारखंड की परंपरा एवं संस्कृति से जुड़ा वाद्य यंत्र की धून पर हो रहे लोक नृत्य के कारण जुलूस में शामिल लोग काफी धीरे-धीरे चल रहे थे.

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वहीं कई वाहनों में डीजे बजाकर लोग नाचते-थिरकते चल रहे थे. जुलूस में लोगों की काफी भीड़ थी. जिसके कारण जगह-जगह जाम लग गया. वाहनों की लंबी कतार लग जाने से राहगीरों को काफी परेशानी हुई. मानगो चौक से पुराना कोर्ट गोलचक्कर तक जाम लग गया. दूसरी ओर इसी तरह की स्थिति आदित्यपुर एवं गम्हरिया से आने वाले जुलूस के कारण हुई. आदित्यपुर-कांड्रा मेन रोड घंटो जाम हो गया. जिसके कारण लोगों को मार्ग बदलकर अथवा सर्विस रोड में विपरीत दिशा से आना-जाना करना पड़ा. मेन रोड पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई. भीड़ में गिने-चुने पुलिसकर्मी तथा ट्राफिक पुलिस के जवान चाहकर भी जाम हटवाने में असफल रहे.

जुलूस में डीजे की धून पर नाचते युवक

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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डहरे टुसू पर्व में मुर्ति कल्चर खत्म करने की मांग

पर्व का आयोजन करने वाली बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच से जुड़े लोगों ने उपस्थित लोगों से टुसु परब को टुसु के महीने में मनाने, टुसु परब में मूर्ति का कल्चर खत्म करने, कुड़माली भाषा को आठवी अनुसूची में शामिल करने, टुसु के परब के उपलक्ष्य में सरकार की ओर से दी जानेवाली छुट्टी की अवधी को बढ़ाने की मांग की गई. कार्यक्रम में अधिकांश लोग अपनी पारम्परिक वेशभूषा में आए थे. इस वर्ष का मुख्य आकर्षण का केंद्र बोड़ाम, पटमदा, गालुडीह, और पश्चिम बंगाल का बांधूआन का छौ नृत्य रहा. इसके अलावा, धनबाद, बोकारो और पश्चिम बंगाल के जंगल महल का टुसु नृत्य, बोड़ाम का घोड़ा नृत्य और पश्चिम बंगाल, मेदनीपुर, पुरुलिया और झाड़ग्राम के अलावे झारखंड के धनबाद के कई झूमूर और टुसु गीत मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा.

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