चांडिल: चांडिल अनुमंडल के नारायण आईटीआई लुपुंगडीह परिसर में रविवार को जगदीश चंद्र बसु और राजीव दीक्षित की जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर डॉ. जटाशंकर पांडे ने दोनों महान व्यक्तित्वों के जीवन, संघर्ष, योगदान और विचारों पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. पांडे का लगभग 20 मिनट का प्रेरक भाषण विद्यार्थियों और उपस्थित लोगों के लिए ज्ञानवर्धक और उत्साहजनक रहा।
डॉ. पांडे ने कहा कि बसु न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए वैज्ञानिक चेतना के प्रतीक थे। उन्होंने ऐसे समय में महत्वपूर्ण प्रयोग किए जब पश्चिमी दुनिया विज्ञान में अपना आधिपत्य स्थापित कर रही थी।
क्रेस्कोग्राफ जैसे यंत्र का आविष्कार विज्ञान के इतिहास में मील का पत्थर है। उनके माइक्रोवेव और रेडियो तरंगों पर शोध ने आधुनिक वायरलेस कम्युनिकेशन की नींव रखी। बसु का विज्ञान और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान उनकी वैज्ञानिक सोच में झलकता था।
डॉ. पांडे ने बताया कि बसु जी मानते थे कि प्रकृति के हर तत्व और हर जीव में चेतना और संवेदना है, और आज विज्ञान धीरे-धीरे उनके इन विचारों को स्वीकार कर रहा है।
डॉ. पांडे ने कहा कि राजीव दीक्षित स्वदेशी आंदोलन के सच्चे प्रेरक और देशभक्त थे। उन्होंने अपने जीवन का हर क्षण राष्ट्र के लिए समर्पित किया।
उनके भाषणों में भारत का गौरव, इतिहास, विज्ञान, संस्कृति और अर्थव्यवस्था—सभी का समावेश था। उन्होंने युवाओं को सिखाया कि स्वदेशी अपनाकर भारत को आत्मनिर्भर बनाना ही भविष्य की कुंजी है। वे केवल वक्ता नहीं थे, बल्कि गहन शोधकर्ता भी थे, जिन्होंने हजारों ग्रंथों और वैज्ञानिक शोधपत्रों का अध्ययन किया। डॉ. पांडे ने कहा कि उनके विचार आज भी युवाओं, विशेषकर आईटीआई और तकनीकी संस्थानों के विद्यार्थियों को प्रेरित करते हैं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से जयदीप पांडे, शांति राम महतो, प्रकाश महतो, शुभम साहू, देवाशीष मंडल, संजीत महतो, पवन महतो, शशि प्रकाश महतो सहित कई शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।
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