Jamshedpur: काव्य कलश में झलकी कविता की रसधार, माखनलाल और राहुल सांकृत्यायन की विरासत पर संवाद

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जमशेदपुर: सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन एवं तुलसी भवन द्वारा संस्थान के प्रयाग कक्ष में मासिक ‘काव्य कलश’ सह हिन्दी साहित्य के दो महान साहित्यकारों माखनलाल चतुर्वेदी और राहुल सांकृत्यायन की जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई गई. यह आयोजन न केवल कवियों की भावनाओं को मंच मिला, बल्कि साहित्यिक धरोहर को पुनः जागृत करने का अवसर भी बना.

दीप प्रज्वलन से आरंभ, सरस्वती वंदना से सजी शुरुआत

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ. सरस्वती वंदना उपासना सिन्हा ने प्रस्तुत की. स्वागत भाषण में तुलसी भवन के मानद महासचिव डॉ. प्रसेनजित तिवारी ने आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डाला. अध्यक्षता श्री सुभाष चंद्र मुनका ने की जबकि संचालन साहित्य समिति के उपाध्यक्ष कैलाशनाथ शर्मा ‘गाजीपुरी’ ने किया. धन्यवाद ज्ञापन राम नंदन प्रसाद ने प्रस्तुत किया.

श्रद्धांजलि सत्र: साहित्यकारों की विचारधारा पर विमर्श

माखनलाल चतुर्वेदी की साहित्यिक यात्रा और योगदान को नीता सागर चौधरी ने सराहनीय रूप से प्रस्तुत किया. वहीं राहुल सांकृत्यायन के विचारों और लेखनी पर वसंत जमशेदपुरी तथा माधुरी मिश्रा ने सारगर्भित परिचय साझा किया.

काव्य कलश सत्र: 47 कवियों ने बांधी महफिल

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र ‘काव्य कलश’ में कुल 47 कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर किया. काव्य पाठ करने वालों में प्रमुख रहे:
डाॅ. रागिनी भूषण, नीलिमा पाण्डेय, अनिता निधि, माधवी उपाध्याय, कैलाशनाथ शर्मा ‘गाजीपुरी’, भंजदेव देवेन्द्र कुमार ‘व्यथित’, डाॅ. उदय प्रताप हयात, हरभजन सिंह रहबर, शकुंतला शर्मा, शुभम् पाण्डेय, विद्या शंकर, मनीष सिंह वंदन, राजेश चरण, रीना गुप्ता, हरिहर राय चौहान, सविता सिंह मीरा, शिप्रा सैनी मौर्या, नीलाम्बर चौधरी, शेषनाथ सिंह ‘शरद’, डाॅ. संजय पाठक ‘स्नेही’, रेणुका अस्थाना, ममता कर्ण ‘मनस्वी’, क्षमाश्री दुबे, नीलम पेड़ीवाल, पूनम सिंह, विद्या शंकर विद्यार्थी तथा हरिकिशन चावला आदि.

आयोजन में विशेष उपस्थिति और सराहनीय सहभागिता

संस्थान के न्यासी अरुण कुमार तिवारी विशेष रूप से मंचासीन रहे. आयोजन में साहित्य समिति के सचिव डॉ. अजय कुमार ओझा, प्रसन्न वदन मेहता, डॉ. अरुण कुमार शर्मा, वीणा भूषण, उषा चावला की सक्रिय उपस्थिति सराहनीय रही. कार्यक्रम का समापन सामूहिक राष्ट्रगान के साथ हुआ, जो साहित्य और देशभक्ति का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत करता रहा.

 

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