
जमशेदपुर: ध्यान फाउंडेशन द्वारा आयोजित गौ कृपा कथा के दूसरे दिन साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती ने कहा कि गौ सत्संग मनुष्य के जीवन में पुण्योदय से ही संभव है. विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने गौसेवा और गौमाता के महत्व को समझाया. उन्होंने कहा कि जब से मनुष्य ने गौमाता को पशु मानना शुरू किया, तभी से उसमें पशुता आने लगी.
पौराणिक काल से गौ आधारित जीवन
साध्वी श्रद्धा दीदी ने बताया कि पौराणिक काल से ही हमारे संस्कार और शिक्षा गौ आधारित रहे हैं. लेकिन आधुनिकता की आंधी में हमने अपने गौरवशाली अतीत को भुला दिया है. उन्होंने कहा, “गाय को हम नहीं पालते, बल्कि गौमाता हमें पालती हैं.” साथ ही, उन्होंने गौ दुग्ध और पंचगव्य के स्वास्थ्य लाभों का भी वर्णन किया.
जीवन के हर चरण में गौमाता की उपयोगिता
साध्वी श्रद्धा दीदी ने कहा कि मनुष्य के जन्म से लेकर अंतिम सांस तक की यात्रा में गौमाता की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सनातन संस्कृति की नींव में गाय का स्थान प्रमुख है.
प्रारंभिक संबोधन और व्यास पूजन
कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और ओडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुवर दास ने गौमाता की महिमा का वर्णन करते हुए किया. उन्होंने सभी को गौसेवा के कार्यों से जुड़ने की प्रेरणा दी. व्यास पूजन का अनुष्ठान ध्यान फाउंडेशन के कर्णधार, गौसेवक राजकुमार अग्रवाल ने अपने परिवार के साथ किया.
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में सांसद विद्युत वरण महतो, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, पूर्व विधायक कुणाल सारंगी, अमरप्रीत सिंह काले, गौ चिकित्सक डॉ शालिनी सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया. कोलकाता से आए गौसेवक बृजमोहन गाड़ोदिया, कैलाश कयाल, रमेश संथालिया, मनमोहन चौधरी और पवन माधोगढिया ने भी व्यासपीठ का आशीर्वाद लिया.
मंच संचालन और समापन
मंच का संचालन प्रकाश चंडालिया ने कुशलता से किया. कार्यक्रम के समापन पर गौ सेवा और सनातन संस्कृति के संरक्षण के लिए समर्पण का आह्वान किया गया.
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