
खान प्रबंधक आशीष कुमार पर आवेश में बात कर माहौल खराब करने का लगाया आरोप
गुवा। टाटा स्टील की विजय-टू लौह अयस्क खदान में 23 दिसम्बर की सुबह 5 बजे से झारखण्ड मजदूर यूनियन द्वारा जारी आर्थिक नाकेबंदी 25 दिसम्बर को निरंतर तीसरे स्थान दिन भी जारी है. इस खदान के सैकड़ों मजदूरों ने अपनी 14 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी करते हुये खदान का उत्पादन व माल ढुलाई को पूरी तरह से ठप किया है. टाटा स्टील प्रबंधन भी तटस्थ नजर आ रही है तथा वह मजदूरों से वार्ता करने को तैयार नहीं है. कंपनी सहायक श्रमायुक्त, चाईबासा द्वारा 27 दिसम्बर को बुलायी गई वार्ता में शामिल होने को राजी है. 24 दिसम्बर को नोवामुण्डी के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) ने टाटा स्टील की विजय-टू खदान में पहुंच कर आंदोलनकारी मजदूरों की स्थिति जानने व समझने का काम किया. इस दौरान पुलिस के अधिकारी भी मौजूद थे. बीडीओ ने झारखण्ड मजदूर यूनियन के अध्यक्ष दिनबंधु पात्रो से बात कर आंदोलन को शांतिपूर्ण चलाने का आग्रह किया. उन्होंने मजदूरों से कहा कि वे उनकी समस्या को देखने आये हैं, लेकिन मजदूरों की जो मांगे है उसपर कोई आश्वासन नहीं दे सकते हैं. हालांकि उन्होंने आश्वस्त किया कि वे मजदूरों की मांगों व स्थिति की जानकारी सक्षम उच्च अधिकारियों को देने का कार्य करेंगे.
समाधान की बजाय माहौल खराब करना चाहता है प्रबंधन : पात्रो

झारखण्ड मजदूर यूनियन के अध्यक्ष दिनबंधु पात्रों ने टाटा स्टील विजय-टू के खान प्रबंधक आशीष कुमार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 24 दिसम्बर को आशीष कुमार आंदोलन स्थल पर सुबह 9 बजे आये और आवेश में आकर बात करने लगे. आशीष कुमार खदान के अंदर जाना चाहते थे लेकिन मजदूरों ने उन्हें जाने से रोक दिया. क्योंकि वह अपना हाजिरी बनाना चाहते थे. दिनबंधु ने कहा कि उन्हें आंदोलनरत मजदूरों की मांगों के समाधान पर बात करनी चाहिए थी. क्योंकि मजदूर उनके खदान के कर्मचारी हैं. दिनबंधु पात्रो ने कहा कि मजदूर परिवार व बच्चों के साथ इस कड़ाके की ठंड में दो दिनों से जंगल में भूखे, प्यासे कैसे आंदोलनरत हैं, उन्हें मजदूरों की समस्याओं पर बात करनी चाहिये थी लेकिन वह माहौल को खराब करने की कोशिश करने का कार्य किये. दिनबंधु पात्रो ने कहा कि मजदूर कंपनी प्रबंधन को तमाम आवश्यक सेवा उपलब्ध कराने में सहयोग कर रहे हैं. जैसे की खदान का डीजी के लिए डीजल, एम्बुलेंस, पेयजल, सुरक्षा गार्डों के लिए भोजन आदि. लेकिन कंपनी प्रबंधन मानवता की खातिर आंदोलन स्थल के लिये अपने डीजी से लाईट जलाने के लिए कनेक्शन तक नहीं दिया है. जंगल में जहरीले जानवर का भी खतरा रहता है.
कड़ाके की ठंड में भी आंदोलन में डटे हैं मजदूर
उन्होंने कहा कि हम कड़ाके की ठंड में आग जलाकर तथा जमीन पर रात के समय जैसे-तैसे सो रहे हैं. उन्होंने कंपनी प्रबंधन को चेतावनी दी कि प्रबंधन जितना परेशान करेगा. मजदूरों का आंदोलन उतना मजबूत होगा तथा मजदूर इसे अंजाम तक पहुंचाएंगे. मजदूर जल, जंगल, जमीन के बीच हीं रहकर विकट परिस्थिति में रहने के आदि हैं. दिनबंधु ने कहा कि हमें तकलीफ है कि टाटा स्टील प्रबंधन की गलतियों की वजह से स्थानीय पुलिस भी रात-दिन मजदूरों की सुरक्षा को लेकर इस घने जंगल में परेशान है. उन्होंने कहा कि कंपनी प्रबंधन मजदूरों व पुलिस-प्रशासन की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है. आंदोलनस्थल पर महासचिव दुलाल चाम्पिया, उपाध्यक्ष परमेश्वर बुरमा, मधु सिधु आदि दर्जनों मजदूर नेता मौजूद हैं.
मजदूर संगठन की प्रमुख मांगें
झारखण्ड मजदूर यूनियन ने प्रबंधन समक्ष जो मांगें रखी है उसमे 100 स्थानीय ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को स्थायी रोजगार देना, लंबे समय से कार्यरत स्थानीय मजदूरों का स्थायीकरण करना, मजदूरों को मेडिकल जांच में अनफिट पाये जाने पर कम्पनी-वेंडर द्वारा ईलाज कराकर दोबारा काम पर रखना, कम्पनी एवं ठेकादार के अधीन कार्यरत मजदूरों को ईएसआई चिकित्सा सुविधा का लाभ देना, सभी ठेका मजदूरों को योग्यतानुसार सही वेतन देना, सभी ठेका मजदूरों को 20 प्रतिशत बोनस एवं डस्ट एलाउंस एक समान प्रदान करना, मजदूर की मृत्यु हो जाने पर उसके आश्रित पुत्र या पत्नी को नौकरी देना, कार्यस्थल में दुर्घटना होने पर मेडिकल सुविधा एवं वेतन भुगतान जारी रखना, मजदूर की मृत्यु या सेवानिवृत्त होने पर उनको उचित राशि देना, ठेका मजदूरों को नियुक्ति पत्र देना, कम्पनी और ठेका मजदूरों के लिए कैन्टीन की सुविधा, ठेकेदार बदले जाने की स्थिति में 45 से 90 दिन के अन्दर फुल एवं फाइनल राशि का भुगतान होना, 5 साल काम करने पर ग्रेच्युटी मिलना, यदि मजदूर अपने कार्यकाल में गंभीर बिमारी से ग्रसित होता है तो उसके घरवालों को नौकरी देना आदि मांगे शामिल है.