
जमशेदपुर: टाटा जू में दो तेंदुआ शावकों और एक नर मैंड्रिल बंदर शिशु का जन्म हुआ है. यह घटना न केवल ज़ू के लिए गर्व का विषय है, बल्कि जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि भी है.
नन्हे तेंदुआ शावकों का जन्म
हाल ही में नागपुर ज़ू से लाए गए तेंदुआ जोड़े ने इन नन्हे शावकों को जन्म दिया. फिलहाल, शावक अपनी माँ के साथ हैं, इसलिए उनका लिंग स्पष्ट नहीं हो सका है. इस जन्म से प्रजाति संरक्षण और प्रबंधन के लिए जारी सहयोगी प्रयासों को और मजबूती मिली है. यह वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम है.
मैंड्रिल बंदर शिशु का आगमन
इसी बीच, एक नर मैंड्रिल बंदर शिशु का भी जन्म हुआ है. मैंड्रिल, जिनकी पहचान उनकी रंगीन चेहरे की त्वचा और विशिष्ट सामाजिक संरचना से होती है, संकटग्रस्त प्रजाति के अंतर्गत आते हैं. इस दुर्लभ प्राइमेट प्रजाति को इज़राइल के एक प्रतिष्ठित प्राणी उद्यान से लाया गया था, जिससे उनके संरक्षण में मदद मिली है.
संवर्धन के प्रयासों को मिल रहा है बल
टाटा ज़ू ने मैंड्रिल की प्रजाति को भारत के अन्य प्रमुख प्राणी उद्यानों जैसे ग्रीन जेडआरआर सी, जामनगर (गुजरात), नॉर्थ वेस्ट बंगाल सफारी, सिलीगुड़ी और तिरुपति ज़ू को दान भी किया है, ताकि इसके संरक्षण के प्रयासों को और विस्तार मिल सके.
टाटा ज़ू का यह कदम संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है. यहाँ इन दुर्लभ जीवों को समृद्ध आवास, उत्तम चिकित्सा देखभाल और संतुलित पोषण मिल रहा है, ताकि वे स्वस्थ और सुरक्षित रूप से बढ़ सकें.
संरक्षण कार्यों का प्रभाव
इन नन्हे शावकों का जन्म और उनका स्वस्थ विकास टाटा ज़ू के संरक्षण और देखभाल की दिशा में किए गए प्रयासों की सफलता को दर्शाता है. साथ ही, यह ज़ू में सहयोगी कार्यक्रमों के सकारात्मक प्रभाव को भी उजागर करता है.
इस पूरी प्रक्रिया में अनुभवी पशु चिकित्सक और देखभाल विशेषज्ञों की टीम इन जीवों की सेहत और विकास पर लगातार निगरानी रखे हुए है, ताकि उनकी बढ़ती उम्र में कोई भी कठिनाई न आए.
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