
वरिष्ठ भाजपा नेता रहे सचिदानंद राय को स्मृति सभा में दी गई श्रद्धांजलि
जमशेदपुर : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने वरिष्ठ भाजपा नेता स्वर्गीय सच्चिदानंद राय को कार्यकर्ताओं के लिए किसी भी अधिकारी से लोहा लेने के लिए आगे रहने वाला पार्टी का बेहद समर्पित कार्यकर्ता बताया. उन्होंने कहा कि सच्चिदानंद राय जैसे बेहद सीनियर लीडर की सीख हमें जीवन में जरूर उतारनी चाहिए. बेशक वह आक्रामक प्रवृति के थे लेकिन उनके लिए सबसे पहले संगठन था. वह संगठन के लिए पूर्णतः समर्पिंत थे. रविवार को बिष्टुपुर स्थित लक्ष्मीनाथ परमहंस गोस्वामी हॉल में सच्चिदानंद राय को श्रद्धांजलि देने के लिए स्मृति सभा का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ता के रुप में विधायक सरयू राय सचिदानंद राय के साथ बिताए गए पलों को साक्षा कर रहे थे. सरयू राय ने कहा कि सच्चिदानंद राय से उनका परिचय 1974 के छात्र आंदोलन के समय हुआ था. जब पटना में बैठक होती थी, तो उनसे बराबर भेंट होती थी. सच्चिदानंद राय में जुझारूपन था. वह अपनी बात को बहुत प्रखरता से रखते थे. कई बार विरोधाभास हो जाता था, लेकिन विरोध के बावजूद यदि कोई निर्णय पार्टी की बैठक में ले लिया जाता तो उक्त निर्णय को लागू करने में वह अग्रिम पंक्ति में खड़ा रहते थे.
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पुराने दिनों को याद करते हुए सरयू राय ने कहा कि उन दिनों वे नदियों के लिए काम कर रहे थे. सच्चिदानंद राय के गांव आनंदपुर में नदी का कटाव तेजी से हो रहा था. इसका मुख्य कारण था बक्सर में गंगा पर पुल बन जाना. उक्त पुल की डिजाइन गलत बन गई थी. लग रहा था कि नदी की पूरी धारा कट कर गांव की तरफ आ जाएगी और पूरा गांव बह जायगा. तब सरयू राय ने सच्चिदानंद राय के साथ उनके गांव की चौकी पर बैठकर मंथन किया कि आखिर गांव बचे तो कैसे बचे. इसके लिए अधिकारियों से बात की गई और पुल के डिजाइन को बदलवाया गया. तब जाकर गांव को बचाया जा सका. सच्चिदानंद बाबू बेशक शहर में रहते थे लेकिन उनका गांव उन्हें बहुत प्यारा था. सरयू राय ने कहा कि सचिदानंद राय पार्टी की रीढ़ की हड्डी की तरह थे. तब पार्टी के लोग परिवार की तरह रहते थे. सच्चिदानंद जी उम्रदराज हो गये थे और बहुत सक्रिय नहीं रहे, लेकिन पार्टी और संघ परिवार के लिए उनके मन में वैसा ही प्रेम था. आखिरी दिनों में भी उनके मन में पार्टी को लेकर परिवार और अपनेपन की भावना थी.
वरिष्ठ नेताओं का आलेख तैयार करने का दिया सुझाव

जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक ने कहा कि वह उस दौर को नहीं भूले, जब सच्चिदानंद राय, दीनानाथ पांडेय, अमरेंद्र प्रताप सिंह, मैनेजर प्रसाद सरीखे नेताओं में मतभेद होता था लेकिन कभी मनभेद नहीं हुआ. नई पीढी को पुराने लोगों ने खून-पसीना से सींचा है. उसके संबंध में परस्पर चर्चा होती रहनी चाहिए. यह बेहद जरूरी है. उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे सभी पुराने लोगों के संबंध में एक आलेख तैयार करना चाहिए ताकि नई पीढ़ी को पता चल सके कि इस पार्टी के पीछे किन-किन लोगों का त्याग है.
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संगठन पर कब्जा की मानसिकता हाबीः रामनारायण शर्मा
वरीय भाजपा नेता रामनारायण शर्मा ने कहा कि आज संगठन पर कब्जा करने की मानसिकता हावी है. सरयू राय भले भाजपा में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने सदैव भाजपा के ऐसे तमाम पुराने नेताओं का मान बढ़ाने का काम किया है. जमशेदपुर पूर्वी के लक्ष्मीनगर में स्थापित पूर्व विधायक दीनानाथ पांडेय का स्मारक इसका स्पष्ट उदाहरण है. इसके पूर्व उपस्थित लोगों ने स्वर्गीय सच्चिदानंद राय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धासुमन व्यक्त किया. मंच संचालन भाजपा नेता सतीश मिश्रा ने किया। इस मौके पर धर्नुधारी सिंह, संजीव आचार्या, कुलविंदर सिंह पन्नू, ब्रजेश राय, झारखंड सैनिक संघ के पूर्व अध्यक्ष बिजय बाहादुर सिंह, अवधेश्वर ठाकुर, मुकुल मिश्रा, धर्मेंद्र प्रसाद, नित्यानंद सिन्हा, अमरेंद्र पासवान, चंद्रमा पांडेय, अमित शर्मा, निर्मल सिंह, आकाश शाह, प्रकाश कोया, सुरंजन राय, दुर्गा राव, अमृता मिश्रा, अमरेश राय, गोल्डन पांडेय, सुनीता सिंह, प्रतिभा सिंह, राकेश पांडेय, मुकेश शर्मा, कन्हैया ओझा, शंकर रेड्डी, असीम पाठक आदि मौजूद रहे. भाजपा नेता रमेश हांसदा ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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