
सरायकेला: शनिवार को सरायकेला की पावन भूमि पर एक बार फिर आस्था की बाढ़ उमड़ पड़ी, जब भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के संग मौसी बाड़ी श्रीगुंडिचा मंदिर पहुंचे। थाना चौक स्थित मंदिर की ओर निकली इस पारंपरिक रथ यात्रा ने पूरे कला नगर को भक्ति से सराबोर कर दिया। पाठागार चौक से शुरू हुई यात्रा में भक्तगण भजन-कीर्तन करते हुए आगे बढ़ते रहे। उनके पीछे-पीछे चलता रहा भगवान का रथ। रथ पर विधिवत पूजा-पाठ होता रहा, प्रसाद चढ़ाया गया और श्रद्धालु परंपरा अनुसार लड्डू फेंकते व प्रसाद ग्रहण करते दिखाई दिए।
क्यों मनाई जाती है रथ यात्रा?
हिंदू धर्म में गहराई से जुड़ी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक विशेष स्थान रखती है। भगवान जगन्नाथ को श्रीहरि विष्णु का अवतार माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि रथ खींचने और भगवान के नाम का कीर्तन करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ओड़िसी नृत्य बना आकर्षण का केंद्र
इस आयोजन में विशेष आकर्षण का केंद्र रहे ओड़िशा से आए कलाकार। उन्होंने रथ के आगे चलते हुए भगवान जगन्नाथ की महिमा पर आधारित ओड़िसी नृत्य प्रस्तुत किया। स्थानीय महिलाएं और पुरुष इन कलाकारों के साथ उत्साह से सेल्फी लेते देखे गए, जिससे उत्सव में आनंद का रंग और भी गाढ़ा हो गया।
भक्तों ने पूरे श्रद्धा भाव से रथ को खींचते हुए भगवान को मौसी बाड़ी श्रीगुंडिचा मंदिर तक पहुंचाया। मंदिर पहुंचने पर विधिपूर्वक आरती उतारी गई और भगवान को भोग अर्पित किया गया। रथ यात्रा की शुरुआत से पूर्व भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा ने पाठागार चौक में रात्रि विश्राम किया। अगले दिन श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ, जो पूरे नगर के लिए एक पवित्र उत्सव बन गया।
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