Tusu 2025: कल मनाया जाएगा टुसू, प्रतिमा की कीमत 1000 से लेकर 10,000 रुपये तक

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जमशेदपुर: मकर संक्रांति और टुसू पर्व मंगलवार को शहर में धूमधाम से मनाया जाएगा. श्रद्धालु नदी संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे. स्वर्णरेखा घाट और वडोदरा घाट पर लोग सुबह स्नान कर गुड़, चावल, तिल और चुरा का दान करेंगे. इस दिन वस्त्र और धन का दान करने की परंपरा भी है. आदिवासी समाज में 13 जनवरी से बाउंडी उत्सव के साथ इस पर्व का आगाज हुआ.

 

टुसू पर्व की तैयारी
टुसू पर्व चाउल धुआ के साथ शुरू हुआ. उराव समाज के अध्यक्ष राकेश उराव ने बताया कि बाउंडी के मौके पर घरों में विशेष पूजा का आयोजन किया गया. लोग टुसू गीत गाते हुए पीठ का निर्माण करते हैं. बाउंडी के दिन शाम में गुड़ पीठा और छांका पीठा तैयार किया जाता है. परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर पीठा खाते हैं. इसके बाद 14 जनवरी को टुसू पर्व मनाया जाएगा. इस अवसर पर लोग पवित्र नदी और जलाशयों में स्नान करते हैं और नए वस्त्र धारण करते हैं.

 

पारंपरिक उत्सव
आदिवासी समाज की कन्याएं बाउंडी उत्सव में परंपरागत तरीके से मांदर की थाप पर गांव और घरों में टुसू प्रतिमा की स्थापना करेंगी. मूर्तिकारों ने मिट्टी की छोटी-बड़ी टुसू प्रतिमाएं तैयार की हैं. विभिन्न स्थानों पर भगवान टुसू की पूजा की जाएगी. युवा लकड़ी, बांस और कागज से रंग-बिरंगे चौड़ल बनाने में व्यस्त हैं, जबकि घरों की रंगाई-पोताई कर सजावट की जा रही है. मकर संक्रांति के दिन से एक दिन पहले यानि आज 13 जनवरी को, समाज के लोग बाउंडी (चाल धुआं) पर नए चावल धोकर भोजन किया. रात में टुसू गीत पर खुशहाली के संदेश का सिलसिला चलेगा. महिलाएं मास पीठा बनाएंगी.

 

चंदा एकत्रित करना
अपने-अपने क्षेत्र में युवा और युवतियां चंदा इकट्ठा करने में जुटी हैं. सभी मिलकर चंदा एकत्र करके टुसू देवी की प्रतिमा खरीदकर उसे स्थापित कर पूजा करेंगे. बिरसानगर नगर जोन नंबर एक बी के मूर्तिकार गुरुचरण टुसू देवी की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. टुसू की प्रतिमा की कीमत 1000 से लेकर 10,000 रुपये तक है.

 

शुभ कार्यों की शुरुआत
15 जनवरी को माघ महीने की पहली तारीख को आखाइन जात्रा मनाई जाएगी. नए साल की शुरुआत मानकर इस दिन से सभी शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं. इस दिन खेत में हल चलाकर खेती की शुरुआत की जाती है, जिसे हालपुनहा भी कहते हैं. इस दिन वधु को देखने का चलन भी है. 15 जनवरी को खरमास का समापन होगा, जिसके साथ सभी मांगलिक कार्य भी आरंभ होंगे.

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