
पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने राज्य की राजनीति को झकझोर दिया है. अदालत ने इस घोटाले में 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियाँ रद्द करने के साथ-साथ, कई नियुक्तियों को धोखाधड़ी करार देते हुए उनसे वेतन की वापसी का भी आदेश दिया है.
ममता बनर्जी बोलीं— जब तक जिंदा हूं, योग्य शिक्षक की नौकरी नहीं जाएगी
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कड़ी आलोचना के साथ खारिज किया है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “जब तक मैं जीवित हूं, कोई भी योग्य शिक्षक अपनी नौकरी नहीं खोएगा.” उन्होंने इस आदेश को अन्यायपूर्ण बताते हुए यह भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार योग्य उम्मीदवारों के साथ मजबूती से खड़ी है.
जेल जाऊंगी तो भी बोलूंगी— ममता की दो टूक
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फैसले को लेकर न्यायपालिका पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा, “इस आदेश से मेरा दिल टूट गया है. मैं जानती हूं कि मुझे जेल भी हो सकती है, लेकिन मैं चुप नहीं बैठूंगी.” ममता ने दावा किया कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है और वह इसके खिलाफ संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगी.
क्या बंगाल की प्रतिभा बन गई है निशाना?
ममता बनर्जी ने सवाल उठाया, “क्या बंगाल की प्रतिभा से लोग डरते हैं?” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा कि यदि नियुक्तियाँ रद्द की गईं, तो स्पष्ट किया जाए कि “कौन योग्य है और कौन नहीं.” मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि NEET जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे, फिर भी वे रद्द नहीं की गईं, लेकिन बंगाल को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है. ममता ने अपने भाषण में शिक्षकों से अपील की कि वे एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए खड़े हों. उन्होंने दोहराया कि यह लड़ाई केवल नियुक्तियों की नहीं, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था की गरिमा की रक्षा की है. मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार हर स्तर पर न्याय के लिए संघर्ष करेगी.
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