
गुवा: सारंडा और लौहांचल क्षेत्र में बीते कई दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है. रविवार से जारी भारी वर्षा के कारण पहाड़ियों से बहकर आया पानी अब गुवा और बड़ाजामदा जैसे क्षेत्रों में बाढ़ का रूप ले चुका है. बोकना के पंचमुखी मंदिर के पास स्थित कारों नदी पर बना लोहे का पुल पानी में डूब गया है. तेज बहाव के कारण पुल के ऊपर से पानी बहने लगा है, जिससे इस मार्ग पर आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है.
बड़ाजामदा शहर के हालात बेहद चिंताजनक हो चुके हैं. सड़कों पर लगभग 4 फीट तक पानी भर गया है. फुटबॉल मैदान के आसपास के करीब 20 घर जलमग्न हो चुके हैं. वर्षा का पानी सीधे लोगों के घरों में घुस आया है, जिससे घरेलू सामानों को भारी नुकसान हुआ है.
लोग घरों से निकल भी नहीं पा रहे हैं. कई जगहों पर गाड़ियाँ पानी में पूरी तरह डूब गई हैं. स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं.
साल दर साल दोहराता है संकट
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह दृश्य अब हर साल की कहानी बन चुका है. वर्षा के साथ ही शहर डूबने लगता है और प्रशासन नींद में रहता है. इस संकट के लिए प्रशासन की निष्क्रियता और नालियों पर हुए अतिक्रमण को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. शहर की बड़ी नालियों को लोगों ने घर, गाड़ी गैरेज और दुकान के रूप में कब्जा लिया है. नालियां उथली और जाम हो चुकी हैं. नगर प्रशासन द्वारा समय पर सफाई नहीं कराई जाती, जिससे जल निकासी के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं.
क्या हर साल की तबाही को नियति मान चुके हैं लोग?
लोगों का आरोप है कि हर साल बारिश आती है, और हर साल प्रशासन सोता है. जब पानी घरों में घुसने लगता है, तभी अधिकारी चेतते हैं. अब सवाल यह है कि क्या कोई स्थायी समाधान होगा या फिर हर साल की यह त्रासदी यूं ही चलती रहेगी?
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