
सरायकेला: पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत आज, 8 जून, रविवार सुबह 9:30 बजे, सरायकेला जिले के जामबनी गांव में माताजी आश्रम की ओर से बंगला भाषा शिक्षा के लिए 31वीं अपुर पाठशाला का शुभारंभ किया गया। यह झारखंड में माताजी आश्रम की 31वीं एवं कुल मिलाकर 21वीं अपुर पाठशाला है। शंकर चंद्र गोप एवं जनमेजय सरदार ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्वलित कर पाठशाला का विधिवत उद्घाटन किया। इसके बाद सुनील कुमार दे ने सरस्वती संगीत प्रस्तुत कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। पूजा महतो ने अतिथियों, विद्यार्थियों और शिक्षकों का स्वागत किया।
बंगला भाषा सिखाने के उद्देश्य पर जोर
सुनील कुमार दे ने बताया कि अपुर पाठशालाओं का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बंगला भाषा को बचाना और बच्चों में इसकी सीखने की रुचि बढ़ाना है। उन्होंने माता-पिता और अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को बंगला सीखने के लिए प्रोत्साहित करें।
स्थानीय लोगों की सहभागिता और समर्थन
शंकर चंद्र गोप ने जामबनी के लोगों को इस पहल में सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया। जनमेजय सरदार ने माताजी आश्रम की इस पहल की प्रशंसा करते हुए बच्चों को शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा दी। भवतारण मंडल ने कविता और संगीत के माध्यम से बच्चों को बंगला भाषा सीखने के लिए प्रेरित किया। रविकांत भकत ने इस अभियान में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
भविष्य की पीढ़ी के लिए प्रयास
विभीषन महतो ने माताजी आश्रम के प्रयासों की सराहना की, जबकि मृणाल पाल ने सभी बंगभाषी समुदाय को इस महान कार्य में सहयोग के लिए आह्वान किया। माताजी आश्रम की ओर से बच्चों को निःशुल्क वर्ण परिचय पुस्तक वितरित की गई। 40 से अधिक बच्चों ने बंगला भाषा सीखने के लिए नामांकन कराया। शंकर चंद्र गोप ने पहले क्लास का संचालन किया।
हर रविवार सुबह 9 बजे मिनता महतो, मुकुंद महतो, रेणुका महतो और लखिन्दर महतो बच्चों को बंगला भाषा सिखाएंगे।
कार्यक्रम में नित्यानंद गोस्वामी, बलराम गोप, सनातन महतो, शरत महतो, राजेश महतो, गीता महतो, बिनीता महतो, दीपाली महतो, बालिका महतो, पिंकी महतो, सावित्री महतो, रेणुका महतो सहित विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएं, माताएं, बहनें और अभिभावक उपस्थित थे। संचालन सुनील कुमार दे ने किया।
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