Chaibasa :  जमशेदपुर के डॉ आशीष व आदित्य प्रकाश को जिला उपभोक्ता आयोग से मिली राहत, मरीज की मौत मामले में क्लीन चिट

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चाईबासा निवासी चैतन्य तिवारी ने दर्ज कराया था लापरवाही व हर्जाने का मामला

चाईबासा : जमशेदपुर के बाराद्वारी स्थित अपेक्स हॉस्पीटल के डॉक्टर आशीष कुमार एवं मेहरबाई टाटा हॉस्पीटल के डॉ. आदित्य प्रकाश को  जिला उपभोक्ता आयोग पश्चिमी सिंहभूम से बड़ी राहत मिली. दोनों चिकित्सकों पर लगे मेडिकल लापरवाही के आरोप को आयोग ने खारिज कर दिया. यह मामला चाईबासा के वार्ड नंबर तीन, सेनटोला के रहने वाले जगबन्धु तिवारी के पुत्र चैतन तिवारी ने दायर किया था. जिसमें उन्होंने दोनों चिकित्सकों पर पिता (जगबंधु तिवारी) की मृत्यु डॉक्टरों की लापरवाही के कारण होने का आरोप लगाया था. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि डॉक्टर आशीष कुमार (अपैक्स हॉस्पिटल बाराद्वारी जमशेदपुर) डॉक्टर आदित्य प्रकाश (मेहरभाई टाटा हॉस्पिटल जमशेदपुर ने इलाज में लापरवाही बरती और उनके पिता को पूरी तरह ठीक होने का झूठा आश्वासन दिया. शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उनके पिता के इलाज पर कुल 4 लाख, 72 हजार रुपये खर्च हुए, जिससे परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा.

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मरीज को स्टेज- 4ए का था कैंसर

हालांकि, डॉक्टरों ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि मरीज स्टेज IV-A के एडवांस्ड ओरल कैंसर से पीड़ित पाया गया था. जिसकी जानकारी मरीज और उसके परिवार को पहले ही दे दी गई थी. डॉक्टरों ने यह भी कहा कि मरीज का इलाज सभी मेडिकल गाइडलाइंस का पालन करते हुए किया गया और इलाज के दौरान सभी संभावित परिणामों के बारे में पहले ही जानकारी दे दी गई थी. आयोग ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत या विशेषज्ञ की उचित सलाह प्रस्तुत नहीं कर सका. इसके अलावा, यह भी पाया गया कि मरीज के इलाज का एक बड़ा हिस्सा आयुष्मान योजना के तहत हुआ था, जिसका खर्च सरकार द्वारा वहन किया गया. आयोग ने कहा कि “डॉक्टरों ने अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी और विशेषज्ञता के साथ निभाई. मरीज के उन्नत स्टेज कैंसर का इलाज करना चुनौतीपूर्ण था. ऐसे में चिकित्सकों पर लापरवाही बरते जाने का आरोप तथ्य से परे है.

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खर्च धनराशि की भरपाई का मामला

आयोग ने अपने आदेश में शिकायत को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला केवल इलाज के दौरान खर्च की गई धनराशि की भरपाई के लिए दायर किया गया प्रतीत होता है, न कि डॉक्टरों की लापरवाही साबित करने के लिए. दोनों डॉक्टरों को उपभोक्ता आयोग द्वारा चिकित्सा नैतिकता और पेशेवर मानकों के अनुसार काम करने वाला माना गया. इस फैसले के साथ ही उपभोक्ता आयोग ने स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ता का मामला तथ्यों और प्रमाणों के अभाव में खारिज किया गया है. जिला उपभोक्ता आयोग पश्चिमी सिंहभूम के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह तथा सदस्य राजीव कुमार एवं देओश्री चौधरी ने संयुक्त रूप से यह फैसला सुनाया.

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