
चाईबासा: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर गुरुवार को चाईबासा स्थित कांग्रेस भवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया. कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नेताजी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
नेताजी के योगदान को किया गया स्मरण
इस अवसर पर कांग्रेसियों ने एक स्वर में नेताजी के ओजस्वी व्यक्तित्व और उनके प्रेरक नेतृत्व को याद किया. उन्होंने कहा कि नेताजी ने अपने भाषणों और विचारों से देश की आजादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने लोगों को एकजुट होकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया.
आजाद हिंद फौज और नेताजी का दृष्टिकोण
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि नेताजी का आजाद हिंद फौज की स्थापना करना यह दर्शाता है कि वे मानते थे कि केवल सत्याग्रह से अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ पाना संभव नहीं है. उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा दिया और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व किया.
गर्म और नरम विचारधारा का संतुलन
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि नेताजी ने यह साबित किया कि किसी भी संगठन को सफलतापूर्वक चलाने के लिए नरम और गर्म विचारधाराओं का संतुलन जरूरी है. जहां जरूरत पड़ी, वहां वे नरम बने और जब लगा कि नरम दृष्टिकोण से कार्य में विलंब हो रहा है, वहां उन्होंने दृढ़ और उग्र विचारधारा अपनाई. नेताजी ने यह संतुलन अपने जीवन के अंतिम क्षण तक बनाए रखा.
कार्यक्रम में शामिल नेता और कार्यकर्ता
इस कार्यक्रम में कांग्रेस जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर दास, प्रदेश महासचिव आरजीपीआरएस त्रिशानु राय, भारत यात्री लक्ष्मण हासदा, जिला सचिव जानवी कुदादा, अल्पसंख्यक जिला उपाध्यक्ष जहांगीर आलम, प्रखंड अध्यक्ष दिकु सावैयां, मंजु बिरुवा, पूर्व जिला कोषाध्यक्ष राधा मोहन बनर्जी, पूर्व जिला सचिव संतोष सिन्हा, नंद गोपाल दास, सुशील पांडेय, सगुन हासदा, सत्येन महतो, बचन खान, जतिन दास, बबलू सिंकु और सुशील कुमार दास समेत कई नेता और कार्यकर्ता उपस्थित थे.
नेताजी की विचारधारा आज भी प्रासंगिक
कार्यक्रम के अंत में वक्ताओं ने नेताजी की विचारधारा और उनके बलिदान को वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया. नेताजी के जीवन और उनकी संघर्ष यात्रा को याद कर यह संकल्प लिया गया कि उनकी विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाया जाएगा.
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