
जादूगोड़ा: मुसाबनी प्रखंड के रूआम गांव स्थित कुलगोड़ा में राखा कॉपर माइंस लीज नवीकरण को लेकर गुरुवार को आयोजित ग्रामसभा में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) के प्रस्ताव का ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया।
HCL के प्रोजेक्ट हेड दीपक श्रीवास्तव द्वारा अगले तीन से चार वर्षों में आउटसोर्सिंग कंपनी जिन्दल के माध्यम से 250 ग्रामीणों को अस्थायी नौकरी देने की बात कही गई, लेकिन ग्रामीणों ने इसे स्थायी रोजगार के विकल्प के रूप में नकार दिया।
ग्राम प्रधान मनोरंजन महतो ने कहा कि वर्ष 1971–72 में जिन 57 खेतियानी रैयतों की भूमि का अधिग्रहण किया गया था, उन्हें उस समय कंपनी द्वारा स्थायी नौकरी दी गई थी। आज जब पुनः माइंस संचालन हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) की मांग की जा रही है, तो पहले उन्हीं परिवारों को पुनः स्थायी रूप से नियोजित किया जाए।
ग्रामीणों का कहना था कि सिर्फ ठेके पर नौकरी की पेशकश से उन्हें भविष्य की सुरक्षा नहीं मिलती।
बारिश के बीच आयोजित ग्रामसभा में आक्रोशित ग्रामीणों ने उपस्थित रजिस्टर से अपने नाम तक काट दिए और सभा का बहिष्कार कर दिया। इससे ग्रामसभा की प्रक्रिया अवरुद्ध हो गई और दूसरी बार ग्रामसभा रद्द करनी पड़ी।
शाखोडीह निवासी जगत मार्डी ने आरोप लगाया कि उनकी रैयती जमीन को HCL ने पहले अधिग्रहण किया और बाद में 2001 में कंपनी बंद कर दी। उन्होंने कहा कि कंपनी ने उस जमीन को झारखंड सरकार को बेच कर 55 लाख रुपये में बिजली बिल माफ करा लिया, जबकि रैयतों को आज तक कोई लाभ नहीं मिला।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब बिना स्थायी रोजगार के कोई NOC नहीं मिलेगा। यदि जिन्दल कंपनी को ही काम देना है, तो वह स्वयं ग्रामीणों से बात करे और NOC ले।
ग्रामसभा में उपस्थित अधिकारियों में HCL से डीजीएम दीपक श्रीवास्तव, सीनियर मैनेजर अर्जुन लोहरा, एचआर हेड कमलेश कुमार शामिल रहे। ग्रामीण प्रतिनिधियों में मनोरंजन महतो, विकास हेंब्रम, तपन कर्मकार, शरद चंद्र बेरा, वन समिति के अध्यक्ष व सचिव सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।
गौरतलब है कि भारी बारिश के बावजूद ग्रामीण छाता लगाकर ग्रामसभा में शामिल हुए, लेकिन कंपनी की बातों से असंतुष्ट होकर विरोध प्रदर्शन किया। यह नजारा साफ दर्शाता है कि ग्रामीणों की अपेक्षाएं अब केवल वादों से नहीं, ठोस नीति और सम्मानजनक रोजगार से पूरी होंगी।
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