- लंदन से लेकर जिनेवा तक—झारखंड की संस्कृति, संघर्ष और विकास मॉडल को विश्व मंच पर देने जा रहे नई पहचान
रांची : झारखंड की राजनीति में विचार, नेतृत्व और जनसरोकारों का नया चेहरा माने जाने वाले कुणाल षड़ंगी अब राज्य की आवाज़ को वैश्विक विमर्श तक पहुंचाने वाले मजबूत प्रवक्ता बनकर उभरे हैं। 21 नवंबर से शुरू हो रहा उनका लंदन और जिनेवा का दौरा केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक विरासत, जल-जंगल-जमीन के संघर्ष और सामाजिक परिवर्तन के प्रयासों को विश्व के बुद्धिजीवियों और नीति निर्माताओं के सामने रखने का ऐतिहासिक अवसर है। यह दौरा बताता है कि झारखंड अब सीमाओं में बंधा प्रदेश नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संवाद में सक्रिय भागीदारी निभाने वाला प्रदेश बन रहा है।
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झारखंड की युवा नेतृत्व क्षमता और नए राजनीतिक आयाम
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21 नवंबर को ब्रिटेन की ख्याति प्राप्त University of Sussex में कुणाल षड़ंगी द्वारा दिया जाने वाला व्याख्यान झारखंडी संघर्षों के वैश्विक अध्याय का एक नया आरंभ होगा। वे झामुमो की वैचारिक यात्रा, शिबू सोरेन के संघर्ष, आदिवासी समाज की सांस्कृतिक जड़ों और झारखंड आंदोलन की सामाजिक-राजनीतिक परतों पर बात करेंगे। पहली बार यूरोप के अकादमिक जगत में झारखंडी आंदोलन को प्रत्यक्ष रूप से समझने और जानने का अवसर मिलेगा। यह न केवल झारखंड के विचारों का विस्तार है, बल्कि उस सामाजिक चेतना की मान्यता भी है जिसने राज्य निर्माण का मार्ग तैयार किया।
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शिबू सोरेन के आंदोलन को वैश्विक मंच पर रखने का महत्व
24 से 26 नवंबर तक संयुक्त राष्ट्र जिनेवा में आयोजित UN Business & Human Rights Forum (UNBHR) में उनका प्रतिनिधित्व झारखंड के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह वह मंच है जहाँ वैश्विक मानवाधिकार नीति, व्यापार नैतिकता और सतत विकास पर दुनिया चर्चा करती है। षड़ंगी इस मंच पर झारखंड के जन आंदोलनों, आदिवासी अधिकारों और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मानवाधिकार-केन्द्रित विकास मॉडल को दुनिया के सामने पेश करेंगे। यह पहली बार है जब झारखंड की सामाजिक जड़ों से उपजे विचार संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक फोरम का हिस्सा बनेंगे।
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संयुक्त राष्ट्र मंच पर झारखंड की उपस्थिति क्यों महत्वपूर्ण
कुणाल षड़ंगी पहले भी कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर झारखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 2016 में MIT, पुणे की भारतीय छात्र संसद में Ideal Youth MLA Award से सम्मानित होने से लेकर अमेरिका के प्रतिष्ठित IVLP प्रोग्राम में चयन, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में वक्ता के रूप में भागीदारी और यूनिसेफ इंडिया के कार्यक्रमों में नेतृत्व—ये सभी उपलब्धियाँ उन्हें झारखंड का वैश्विक चेहरा बनाती हैं। 2024 में FIA Chicago द्वारा International Youth Icon Award मिलना उनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान को और मजबूत करता है। उनकी यह यात्रा साबित करती है कि झारखंड केवल संसाधनों का प्रदेश नहीं, बल्कि संस्कृति, संघर्ष और मानवाधिकार मूल्यों का वैश्विक मॉडल है। यह राज्य के लिए गर्व का क्षण है, जो झारखंड की नई अंतरराष्ट्रीय पहचान को स्थापित करेगा।