- हेमंत सोरेन बोले—“दो दर्जन भाजपा मुख्यमंत्री भी आ जाएं, मैं अकेला भारी”
- झामुमो प्रत्याशी सोमेश चंद्र सोरेन ने भरा नामांकन
- नामांकन सभा में हेमंत सोरेन ने साधा बीजेपी पर निशाना
- जनता ने दिखाया जोश—झामुमो के समर्थन में गूंजे नारे
घाटशिला : घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में शुक्रवार को इंडी गठबंधन के झामुमो प्रत्याशी सोमेश चंद्र सोरेन के नामांकन ने चुनावी माहौल गरमा दिया। अनुमंडल कार्यालय में नामांकन दाखिल करने के बाद आयोजित विशाल जनसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि विरोधी दल बीजेपी यहां एक नहीं बल्कि दो-दो दर्जन मुख्यमंत्री भी भेज दे, लेकिन घाटशिला की जनता की ताकत के सामने सब बेबस हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि “यहां का असली मुख्यमंत्री जनता है, उसकी ताकत मेरी ताकत है।” हेमंत सोरेन ने दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन और पूर्व मंत्री रामदास सोरेन को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जनता का प्रेम और विश्वास ही झामुमो की सबसे बड़ी पूंजी है।
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हेमंत ने साधा निशाना—‘बीजेपी डर से बाहरी नेताओं को उतार रही मैदान में’
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नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, झामुमो नेताओं और हजारों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी ने चुनावी रणभेरी को और तेज कर दिया। हेमंत सोरेन ने कहा कि चुनाव में कुछ बाहरी ताकतें जनता को भ्रमित करने की साजिश करेंगी, लेकिन घाटशिला की जनता एकजुट है। उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ चुनाव नहीं, स्वर्गीय रामदास सोरेन की सेवा और समर्पण की विरासत को आगे बढ़ाने का अवसर है।” उन्होंने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग झूठे वादों के सहारे जनता को बरगलाने निकले हैं, लेकिन झामुमो हमेशा जनता के साथ खड़ा रहा है और खड़ा रहेगा।
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घाटशिला में दिखा चुनावी दम—नामांकन सभा बनी शक्ति प्रदर्शन मंच
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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पोटका विधायक और झामुमो के स्टार प्रचारक संजीव सरदार ने कहा कि घाटशिला की जनता इस चुनाव में एक बार फिर विकास, सम्मान और पहचान की राजनीति को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि उपचुनाव स्व. रामदास सोरेन के त्याग, तप और जनसेवा की याद दिलाता है। “झामुमो की जीत उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी,” उन्होंने कहा। संजीव सरदार ने जनता से “तीर-कमान” निशान पर मुहर लगाने की अपील की। जनसभा के दौरान “वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन अमर रहें”, “वीर रामदास सोरेन अमर रहें” और “झामुमो ज़िंदाबाद” जैसे नारे गूंजते रहे। इससे स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि घाटशिला की लड़ाई दिल और सम्मान की लड़ाई बन चुकी है।