- मलेरिया और जॉन्डिस जैसी बीमारियों से प्रभावित लोगों का बेहतर इलाज कर रही हैं वरिष्ठ चिकित्सक
- तकनीकी दक्षता और सहानुभूति से मरीजों का विश्वास जीता
गुवा : सेल संबद्ध चिड़िया माइंस चिकित्सालय में 24 वर्षों से कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नीतू कुमारी ने बताया कि इन दिनों क्षेत्र में कुछ लोग अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता पर ध्यान न देने के कारण मलेरिया और जॉन्डिस जैसी बीमारियों से अस्वाभाविक रूप से ग्रसित हो जाते हैं। खून की कमी और टाइफाइड जैसी बीमारियाँ भी अक्सर देखी जा रही हैं। चिड़िया माइंस के जंगलों में प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम नामक एक कोशिकीय प्रोटोज़ोआ परजीवी के कारण मलेरिया फैलने की संभावना बनी रहती है। गर्भवती महिलाओं और गंभीर अवस्था में आए मरीजों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
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मलेरिया और जॉन्डिस से पीड़ित मरीजों का ध्यान रखा जा रहा है
डॉ. नीतू कुमारी ने अपने चिकित्सकीय करियर की शुरुआत फुसरो रेफरल अस्पताल से की, इसके बाद बोकारो जिले के नावाडीह क्षेत्र और आईएल गोमिया में सेवाएँ दी। 2008 में उन्हें आरएमडी सेल संबद्ध चिड़िया चिकित्सालय में नियुक्त किया गया। गोमिया क्षेत्र में कार्यकाल के दौरान उन्होंने नक्सली प्रभावित बीहड़ इलाकों चतरोचट्टी, महुआटांड़ और नावाडीह थाना क्षेत्र के जंगलों में जाकर पीड़ितों की सेवा की। लगातार मरीजों की देखभाल और बेहतर चिकित्सा प्रदान करने के कारण उनका क्षेत्र में विशेष सम्मान बन चुका है।
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जंगल-जंगल घूम कर मरीजों को दी जीवनदायिनी सेवा
डॉ. नीतू कुमारी ने पटना से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने कोरोना फाइटर के रूप में सेवा दी और मरीजों की जान बचाई। इस दौरान वे स्वयं कोरोना संक्रमित हो गईं और उनके पिता भी संक्रमित हुए, लेकिन अस्पताल से छुट्टी न मिलने के कारण पिता की देखभाल नहीं कर पाईं, और उनके पिता का निधन हो गया। उन्होंने कहा कि एक अच्छा चिकित्सक तकनीकी रूप से कुशल होने के साथ सहानुभूति रखने वाला और मरीजों के प्रति समर्पित होना चाहिए।
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कोरोना फाइटर के रूप में समाज सेवा का अनूठा योगदान
डॉ. नीतू का मानना है कि चिकित्सक का कर्तव्य केवल रोग का इलाज करना नहीं बल्कि मरीज की भावनाओं और परिस्थिति को समझकर समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। उनके समर्पित प्रयासों और तकनीकी दक्षता के कारण क्षेत्र के लोग किसी भी गंभीर बीमारी में भरोसा लेकर उन्हीं के पास आते हैं। उनकी सेवा की निष्ठा और संवेदनशीलता ने उन्हें चिड़िया माइंस में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है।