
नई दिल्ली: पहिए के अविष्कार के साथ ही दुनिया तेजी से आगे बढ़ने लगी. इस रफ्तार को नई दिशा 1825 में मिली, जब दुनिया की पहली ट्रेन ने अपनी यात्रा शुरू की. 28 साल बाद, 16 अप्रैल 1853 को भारत में पहली बार ट्रेन चलाई गई. इसके लगभग 72 वर्षों बाद, 3 फरवरी 1925 को भारतीय रेल ने पहली बार छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) से कुर्ला, मुंबई तक विद्युतीकरण के साथ अपनी यात्रा की. यह भारतीय रेल के इतिहास में एक नया कीर्तिमान बना और अब 2025 में भारत अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क के 100% विद्युतीकरण के कगार पर है.
विद्युतीकरण की ओर: एक सदी का सफर
दुनिया में पहली बार रेल संचालन के केवल 28 वर्षों के भीतर भारत में रेलगाड़ियां दौड़ने लगीं. हालांकि, बिजली से चलने वाले इंजनों को अपनाने में भारत को अधिक समय लगा. 1879 में जर्मनी में पहली बार इलेक्ट्रिक यात्री ट्रेन चली, लेकिन भारत में यह तकनीक पहुँचने में 46 वर्षों का समय लगा. विद्युतीकरण ने भारतीय रेल को और भी तेज, शक्तिशाली और कुशल बना दिया, साथ ही यह प्रदूषण रहित और कम रखरखाव की आवश्यकता वाले इंजनों का उपयोग करती है.
मुंबई में विद्युतीकरण का पहला कदम
20वीं शताब्दी के प्रारंभ में मुंबई की तेजी से बढ़ती जनसंख्या के लिए प्रभावी यातायात समाधान की आवश्यकता महसूस हुई. भाप इंजनों की असमर्थता ने विद्युतीकरण की आवश्यकता को और बढ़ा दिया. 1904 में, बॉम्बे प्रेसीडेंसी सरकार के मुख्य अभियंता डब्ल्यू.एच. व्हाइट ने मुंबई में विद्युतीकरण का प्रस्ताव रखा. 1920 तक बॉम्बे-पुणे, इगतपुरी और वसई लाइनों के विद्युतीकरण की योजनाएं मंजूर हो गईं. 3 फरवरी 1925 को भारत की पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और कुर्ला के बीच 16 किलोमीटर की दूरी तय की.
दक्षिण भारत में विद्युतीकरण की शुरुआत
मुंबई के साथ-साथ दक्षिण भारत ने भी विद्युतीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए. साउथ इंडियन रेलवे ने अपने उपनगरीय नेटवर्क को विद्युतीकृत किया. मद्रास बीच से ताम्बरम तक की लाइन 1931 तक पूरी कर ली गई. 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय तक, देश में केवल 388 किलोमीटर रेल लाइनों का विद्युतीकरण हुआ था.
पूर्वी भारत में विद्युतीकरण का आरंभ
जहां मुंबई ने विद्युतीकरण में अग्रणी भूमिका निभाई, वहीं पूर्वी भारत में यह प्रक्रिया देरी से शुरू हुई. 1950 के दशक में कोलकाता में विद्युतीकरण की प्रक्रिया ने गति पकड़ी. 1957 में हावड़ा और शियोराफुली के बीच पूर्वी भारत के पहले विद्युतीकृत ट्रैक का उद्घाटन हुआ. भारतीय रेल ने 25 kV AC प्रणाली को विद्युतीकरण के लिए मानक के रूप में अपनाया.
स्वच्छ परिवहन की दिशा में कदम
रेल विद्युतीकरण का राष्ट्र पर गहरा और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है. यह परिवहन को स्वच्छ और हरित माध्यम प्रदान करता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलता है. बेहतर ढुलाई क्षमता और लाइन हॉल लागत में सुधार के साथ, यह रेल नेटवर्क को और अधिक कुशल बनाता है.
पूरे भारत में विद्युतीकरण: नया युग
1966 तक, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी रेलवे जोन में माल परिवहन का आधे से अधिक हिस्सा इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन द्वारा संचालित होने लगा. आने वाले दशकों में, भारतीय रेल के विद्युतीकरण ने अभूतपूर्व गति पकड़ी. 2014-15 के दौरान प्रतिदिन करीब 1.42 किलोमीटर विद्युतीकरण किया गया, जबकि 2023-24 के दौरान प्रतिदिन 19.7 किलोमीटर विद्युतीकरण का रिकॉर्ड बना. 2025 में, जब भारत रेल विद्युतीकरण के 100 वर्षों का जश्न मनाएगा, यह उपलब्धि उस दूरदृष्टि और तकनीकी प्रगति की गवाही देगी जिसने भारतीय रेल को आधुनिक नेटवर्क में से एक बना दिया.
– डॉ जयदीप गुप्ता (अपर सदस्य, रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन, रेलवे बोर्ड)
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