पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है। जीत का लक्ष्य तय हो चुका है और अब रणनीति पर जोर है। मंगलवार को वोटर लिस्ट जारी होगी, वहीं चुनाव आयोग की टीम भी बिहार आने वाली है। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक मतदान की तारीखों की घोषणा हो सकती है। हालांकि, अब तक दोनों प्रमुख गठबंधनों — एनडीए और इंडिया ब्लॉक — में सीट बंटवारे को लेकर कोई अंतिम सहमति नहीं बनी है। अनुमान है कि दुर्गा पूजा और दशहरा के बाद सीटों पर फैसला संभव है।
एनडीए खेमे में भाजपा और जदयू के बीच सीटों को लेकर लगभग सहमति बन चुकी है। अब पेंच बाकी घटक दलों — चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा — पर फंसा है। चिराग पासवान वोट प्रतिशत के आधार पर सीटें चाहते हैं, जबकि भाजपा इस मांग पर असमंजस में है। जदयू अपने कोटे से मांझी को सीट देने को तैयार है, लेकिन अगर भाजपा चिराग और कुशवाहा को अपने कोटे से सीटें देती है, तो उसकी कुल सीटें जदयू से कम हो सकती हैं। यही भाजपा के लिए सबसे बड़ी रणनीतिक दुविधा बन गई है।
महागठबंधन में स्थिति और उलझी हुई है। वामदलों की ताकत पिछले चुनाव से अधिक है और कांग्रेस भी इस बार किसी समझौते के मूड में नहीं है। कांग्रेस न केवल सीटों की संख्या बल्कि अपनी पसंद की सीटें भी चाहती है। वाम दलों का कहना है कि उन्हें कम से कम 40 सीटें मिलनी चाहिए। पिछली बार सीपीआई 19 सीटों पर लड़ी थी, जिनमें से 12 पर उसे जीत मिली थी। लोकसभा में भी उसने दो सीटें हासिल की थीं। अब वह अपने हिस्से में कमी के लिए तैयार नहीं है।
दुर्गा पूजा और दशहरा के बाद सीट बंटवारे को लेकर दोनों गठबंधनों में बातचीत तेज होने की उम्मीद है। तब तक बिहार की राजनीति में सस्पेंस बना रहेगा कि किस दल को कितनी सीटें मिलेंगी और कौन होगा असली दावेदार।
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