- पुराने और वर्तमान मतदान केंद्रों में अंतर से बढ़ी उलझन, तुलनात्मक बूथ सूची सार्वजनिक करने की मांग
- अंकित आनंद बोले—SIR प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए जागरूकता अभियान जरूरी
जमशेदपुर : SIR सत्यापन अभियान के दौरान देशभर में मतदाताओं को पुराने मतदान केंद्रों की पहचान को लेकर गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2003 की बूथ संख्या और वर्तमान 2024–2025 के मतदान केंद्रों में बड़े पैमाने पर बदलाव के कारण नागरिक अपने पुराने मतदान केंद्रों का विवरण देने में असुविधा महसूस कर रहे हैं। इसी मुद्दे को उठाते हुए भाजपा के पूर्व जिला प्रवक्ता अंकित आनंद ने राज्य निर्वाचन आयोग और जिला निर्वाचन पदाधिकारी से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि कई ऐसे मतदाता हैं जो पहले झारखंड में रहते थे लेकिन वर्तमान में पश्चिम बंगाल या अन्य राज्यों में निवास कर रहे हैं। ऐसे मतदाताओं को BLO को 2003 की वोटर लिस्ट से जुड़ी जानकारी देनी होती है, लेकिन बूथ और केंद्रों में हुए व्यापक परिवर्तन ने प्रक्रिया को जटिल बना दिया है।
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बूथ बदलाव से मतदाताओं को पुराना रिकॉर्ड ढूंढने में हो रही है परेशानी
अंकित आनंद ने अपने पत्र और सोशल मीडिया (X) के माध्यम से कहा कि मतदाता किसी भी स्थिति में बोझ महसूस न करें, यह चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि सभी विधानसभाओं में वर्ष 2003 और 2025 के बूथ तथा मतदान केंद्रों का तुलनात्मक विवरण सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाए, ताकि कोई भी नागरिक आसानी से अपने पुराने केंद्र की पहचान कर सके। साथ ही उन्होंने व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की भी मांग की, जिससे SIR प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, सरल और जनहितकारी बन सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि आयोग और जिला निर्वाचन पदाधिकारी जल्द कार्रवाई करेंगे, जिससे सत्यापन प्रक्रिया में आ रही दिक्कतों को दूर किया जा सके।