
नई दिल्ली: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आतंकवादियों पर भारत की कार्रवाई से तिलमिलाया पाकिस्तान अब एक और बड़े झटके से जूझ रहा है. आरएसएस मुख्यालय नागपुर पर वर्ष 2006 में हुए आतंकी हमले की साजिश रचने वाला लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर अबू सैफुल्लाह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मारा गया. उसे अज्ञात हमलावरों ने गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया.
सिंध के फलकारा चौक पर हुई साजिशकर्ता की हत्या
सूत्रों के अनुसार अबू सैफुल्लाह की हत्या सिंध प्रांत के मतली फलकारा चौक के पास की गई. हमलावरों ने उसे बेहद करीब से गोलियों से निशाना बनाया. अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हमलावर कौन थे और हत्या के पीछे किसका हाथ है, परंतु इससे पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क में हलचल मच गई है.
नेपाल के जरिए चलाता था आतंकी नेटवर्क
अबू सैफुल्लाह, जिसका असली नाम मोहम्मद सलीम उर्फ राज़ूल्लाह निज़ामनी था, नेपाल में लश्कर-ए-तैयबा का एक सक्रिय मॉड्यूल संचालित कर रहा था. उसका मुख्य कार्य भारत के विरुद्ध आतंकी गतिविधियों के लिए कैडर तैयार करना और आर्थिक संसाधनों की आपूर्ति सुनिश्चित करना था.
भारत में तीन बड़े हमलों में निभाई थी भूमिका
अबू सैफुल्लाह भारत के भीतर तीन प्रमुख आतंकी हमलों में शामिल रहा था:
वर्ष 2006 में नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय पर हमला
वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश के रामपुर स्थित सीआरपीएफ कैंप पर आतंकी हमला
वर्ष 2005 में बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) पर साजिश में भागीदारी
इन सभी हमलों की साजिश में उसकी केंद्रीय भूमिका रही थी. नेपाल के माध्यम से आतंकियों को भारत में भेजने का जिम्मा भी उसी के पास था.
भारत की मोस्ट वांटेड सूची में था नाम
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने अबू सैफुल्लाह को ‘मोस्ट वांटेड’ आतंकियों की सूची में शामिल कर रखा था. एजेंसियों के बढ़ते दबाव और अंतरराष्ट्रीय निगरानी के कारण वह नेपाल छोड़कर पाकिस्तान भाग गया था. वहीं रहकर वह आतंकी गतिविधियों की योजना बना रहा था, जब अज्ञात हमलावरों ने उसकी हत्या कर दी.
कई सवाल अब भी अनुत्तरित
अबू सैफुल्लाह की हत्या किसने की? क्या यह आतंकी गुटों की आपसी रंजिश थी या किसी खुफिया एजेंसी की रणनीतिक कार्रवाई? फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है. पर इतना तय है कि भारत के लिए यह एक बड़ी सफलता है और लश्कर के नेटवर्क के लिए एक और गंभीर झटका.
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