कटिहार: बिहार के प्राणपूर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी मनोज कुमार मुर्मू की अध्यक्षता में आज कटिहार जिले के आजमनगर प्रखंड के खजुरिया प्राइमरी स्कूल में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक दोपहर 3 बजे शुरू हुई और इसका मुख्य उद्देश्य संथाली भाषा के पठन-पाठन को बढ़ावा देना था। इस बैठक में पूरे कटिहार जिले में ओल-चिकी अध्ययन केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
मुख्य अतिथि ने बताया भाषा का महत्व
बैठक में झारखंड राज्य से आदिम डेवलपमेंट सोसायटी के सचिव बाबु राम सोरेन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा, “जानाम रोड़ ओल ते गेयान डाहार ब पांजाया धारती रे होड़ लेका ताहेन ब रिकाया अर्थात मातृभाषा संथाली भाषा और ओल-चिकी लिपि से शिक्षा ग्रहण करेंगे और हम लोग भी अन्य लोगों की तरह शिक्षित व प्रशिक्षित रहेंगे।”
सोरेन ने बताया कि संथाली भाषा को 2004 में भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। नई शिक्षा नीति 2020 में भी इसे मान्यता दी गई, जिससे ओल-चिकी लिपि को यूनिकोड में शामिल किया गया।
अध्ययन केंद्रों की योजना
इस बैठक के निर्णय के अनुसार कटिहार जिले के विभिन्न क्षेत्रों में ओल-चिकी अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों में स्थानीय छात्रों को संथाली भाषा और ओल-चिकी लिपि में शिक्षा दी जाएगी।
कार्यक्रम में मनोज कुमार मुर्मू, बाबु राम सोरेन के अलावा स्थानीय शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण प्रतिनिधि उपस्थित रहे। बैठक में आगे की कार्यवाही के लिए एक समिति का गठन किया गया, जो केंद्रों के स्थान चयन और संचालन की प्रक्रिया को संभालेगी।
प्रतिक्रियाएँ और महत्व
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने इस पहल को भाषा संरक्षण और शैक्षिक विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम संथाली भाषा की पहचान और ओल-चिकी लिपि के प्रसार के लिए मील का पत्थर साबित होगा।