
रांची: झारखंड में जमीन से जुड़े विवाद और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए भू-राजस्व विभाग ने अहम पहल की है. मंत्री दीपक बिरुआ ने फर्जी डीड पर लगाम लगाने और लंबित म्यूटेशन के मामलों को कम करने के लिए विभाग को विशेष निर्देश दिए हैं.
फर्जी डीड कैसे बढ़ाते हैं विवाद?
मंत्री दीपक बिरुआ ने बताया कि डीड अप्लाई करने पर आवेदक को एक यूनिक नंबर मिलता है. छोटी-मोटी खामियां दिखाकर डीड को रद्द कर दिया जाता है. इसके बाद वही डीड नंबर थोड़ा बदलाव कर दोबारा अप्लाई करवाया जाता है. इस प्रक्रिया से न केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, बल्कि म्यूटेशन के लंबित मामलों की संख्या भी बढ़ती जाती है.
एनआईसी बनाएगा उन्नत सॉफ्टवेयर
मंत्री ने एनआईसी को निर्देशित किया है कि एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जाए, जो एक ही जमीन पर दोबारा डीड अप्लाई करने पर तत्काल रोक लगाए. इससे फर्जी डीड बनाने और गलत तरीके से म्यूटेशन कराने की समस्या का समाधान होगा. साथ ही अंचल कार्यालयों में अन्य कार्यों के निपटारे में भी सहूलियत मिलेगी.
आदिवासियों को बिचौलियों से बचाने की जरूरत
बिरुआ ने कहा कि राज्य के आदिवासी मूलवासी अक्सर जमीन से जुड़ी जानकारी के अभाव में बिचौलियों के शिकार हो जाते हैं. रसीद कटवाने जैसे छोटे कामों के लिए उन्हें कई बार अंचल कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इस स्थिति को रोकने के लिए सरकार कड़े कदम उठा रही है.
पुरखों की जमीन पर फर्जीवाड़ा नहीं होगा बर्दाश्त
मंत्री ने कहा कि कुछ अंचलाधिकारी और कर्मी, प्रभावशाली व्यक्तियों के इशारे पर पुरखों की जमीन को गलत तरीके से किसी और के नाम कराने में संलिप्त पाए गए हैं. ऐसे कर्मचारियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
जनता को मिलेगी राहत
मंत्री ने कहा कि भू-राजस्व विभाग की यह पहल राज्य में जमीन विवादों को कम करने और लोगों को राहत देने की दिशा में बड़ा कदम है. सरकार की प्राथमिकता है कि आम जनता की समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए और फर्जीवाड़े पर पूरी तरह रोक लगाई जाए.
सरकार का संदेश साफ है: झारखंड में जमीन से जुड़े किसी भी विवाद या भ्रष्टाचार को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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