
सरायकेला: सरायकेला के शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में सोमवार को वट सावित्री की पूजा की गई. यह पूजा हर वर्ष ज्येष्ठ मास अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. यह एक पारंपरिक हिंदू त्यौहार है जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी और सुख समृद्धि के लिए वट वृक्ष पर धागा बांधकर पूजा अर्चना पूरी विधि विधान के साथ करती है. कहीं-कहीं देखा जाता है विवाहित महिलाएं घर पर ही वट वृक्ष की डाली रखकर धागा बांधकर पूजा करती है तथा कथा सुनती हैं तथा एक महिलाएं दूसरी महिलाओं की मांग में सिंदूर भरती है। सदा सुहागिन रहने की कामना करती है।
इस व्रत के पीछे एक प्राचीन कथा है कि वट वृक्ष के नीचे सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। इसलिए हर वर्ष इस दिन वट वृक्ष पर पूजा कर पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती है।