
पोटका: ग्रामीण विकास विभाग के आजीविका न्याय सलाह केंद्र के माध्यम से महिलाओं को घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर न्याय देने की प्रक्रिया को समझने के लिए बिहार के पूर्णिया, बेगूसराय और बांका जिलों से एक टीम पोटका के कलिकापुर पहुंची. टीम का नेतृत्व प्रदान के स्टेट कोऑर्डिनेटर निधि व्यास ने किया. इस अवसर पर पोटका में पोगरों साईं बदलाव मंच के साथ बैठक आयोजित की गई, जिसमें यह जानने की कोशिश की गई कि कैसे बदलाव दीदी का गठन हुआ, इसकी प्रक्रिया में किन समस्याओं का सामना करना पड़ा और उनका समाधान कैसे किया गया.
निशुल्क न्याय प्रणाली और गरिमा केंद्र का महत्व
बैठक में यह भी चर्चा की गई कि गरिमा केंद्र के माध्यम से महिलाओं को किस तरह से निशुल्क न्याय प्रदान किया जा रहा है. यहां पीड़ित महिलाओं को न्याय के साथ-साथ आश्रय, भोजन, यातायात और इलाज जैसी सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं. साथ ही, कानूनी सहायता के लिए डालसा (जिला विधिक सेवा प्राधिकरण) के माध्यम से भी महिलाओं को मुफ्त कानूनी सलाह दी जाती है.
प्रखंड स्तर पर एडवाइजरी कमिटी का कार्य
इस दौरान प्रखंड स्तर पर काम कर रही एडवाइजरी कमिटी की भूमिका पर भी चर्चा की गई. यह कमिटी महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करती है और उन्हें इस न्याय प्रणाली का लाभ उठाने में मदद करती है. बिहार की टीम ने पोटका के इस मॉडल को समझने के बाद इसे बिहार के विभिन्न हिस्सों में लागू करने की योजना बनाई, ताकि वहां की महिलाओं को भी निशुल्क न्याय मिल सके.
उपस्थित लोग
इस कार्यक्रम में निधि व्यास (स्टेट कोऑर्डिनेटर, प्रदान बिहार), कुलदीप रजक (सोशल डेवलपमेंट डिस्ट्रिक्ट मैनेजर), सुलगना दत्ता (रीजनल कोऑर्डिनेटर), इंद्रनील दास (जेंडर सीआरपी), माधुरी राणा, पाखी पात्र, नागी सोरेन, मंजू नायक, बबिता नायक, जेमा सिंह, गीता हेब्रम, जननी सीट, अशोका सीट, झूमा मंडल, लता महाली, अनीता सरदार, आरसु टुडू, सीता हांसदा, अंजना भकत, सुलोचना भकत, लीलावती गोप, आरती मारडी और विजोया सरदार आदि शामिल थे.
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