Jhargram: न्याय, सम्मान और पुनर्नियोजन की मांग को लेकर मिदनापुर में शिक्षकों का जुलूस

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झाड़ग्राम: योग्यता के बावजूद नौकरी से वंचित शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों ने सोमवार को मिदनापुर शहर की सड़कों पर जुलूस निकालकर अपना आक्रोश और पीड़ा जाहिर की। ‘वी द फोरम फॉर पेंडिंग जस्टिस’ के बैनर तले आयोजित इस आंदोलनात्मक जुलूस का नेतृत्व बीएमईएफ (बंगाल मदरसा एजुकेशन फोरम) द्वारा किया गया। इसमें आदिवासी योग्य शिक्षक व शिक्षाकर्मी अधिकार संरक्षण मंच (2016) के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी भी देखने को मिली।

योग्य शिक्षक क्यों बेरोजगार हैं?—सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार की मांग
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को कोलकाता सीएफएसएल की रिपोर्ट आने तक पैनल रद्द करने के फैसले पर रोक लगानी चाहिए और भ्रष्टाचार की जांच के लिए उच्चस्तरीय स्वतंत्र समिति का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि 3 अप्रैल 2016 को रद्द किए गए पैनल की वैधता पर पुनर्विचार कर योग्य शिक्षकों को पुनः सेवा में लिया जाए।

वक्ताओं ने यह भी दोहराया कि जिन लोगों ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, उनके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता स्थापित हो सके।

शिक्षा, सम्मान और स्वाभिमान की वापसी की मांग
जुलूस में शामिल शिक्षकों ने कहा कि पैनल रद्द होने से उनका आत्मसम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। उन्होंने मांग की कि सरकार और न्यायपालिका को मिलकर इस संकट का समाधान निकालना चाहिए। साथ ही पारदर्शी, भ्रष्टाचारमुक्त भर्ती प्रक्रिया के तहत हर वर्ष नियमित नियुक्ति की व्यवस्था की जाए।

उन्होंने संपूर्ण ओएमआर शीट प्रकाशन जैसी मांगों को भी प्रमुखता दी, जिससे चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता आए।

शंखनाद, धमसा और तख्तियों के साथ निकला प्रतिवाद जुलूस
रंगबिरंगे तख्तियों, राष्ट्रीय ध्वज, धमसा-मदल और शंखध्वनि के साथ निकला यह जुलूस एक सांस्कृतिक प्रतिरोध का भी प्रतीक था। शिक्षकों ने अपने संघर्ष को न सिर्फ शब्दों से, बल्कि सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से भी अभिव्यक्त किया।

जुलूस का मार्ग और सभा
यह विशाल जुलूस अशोकनगर चौराहे से प्रारंभ होकर बस स्टैंड, खुदीराम चौराहा, गांधी चौराहा, पंचूर चौक, गोलकुइया चौक, बटाला होते हुए केरानीतला चौराहे पर जाकर समाप्त हुआ। खुदीराम चौराहे पर हुई पथसभा में वक्ताओं ने पुलिसिया दमन की कड़ी निंदा की। केरानीतला में संक्षिप्त पथावरोध के माध्यम से विरोध दर्ज कराया गया। इस आंदोलन का नेतृत्व बीएमईएफ के राज्य अध्यक्ष इसरारुल हक मंडल, सचिव रबीउल इस्लाम तथा कृष्णगोपाल चक्रवर्ती ने किया। साथ ही बेरोजगार शिक्षकों का नेतृत्व भी विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों ने किया। इस जुलूस में केवल बेरोजगार शिक्षक ही नहीं, बल्कि कई स्कूलों के प्रधानाध्यापक, वर्तमान शिक्षक, शिक्षाप्रेमी नागरिक और आम लोग भी सम्मिलित हुए। एक अनुमान के अनुसार एक हज़ार से अधिक लोगों ने इस जुलूस में भाग लिया।

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