
मानगो वसुन्धरा एस्टेट में शिव कथा का दूसरा दिन
जमशेदपुर : मानगो एनएच 33 स्थित वसुन्धरा एस्टेट (नियर इरीगेशन कॉलोनी) में श्री शिव महापुराण कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन शुक्रवार को वृन्दावन से पधारे स्वामी वृजनंदन शास्त्री महाराज ने व्यास पीठ से गुण निघि का पूर्व जन्म, कुबेर पद की प्राप्ति एवं शिवालय महिमा वर्णन का सुंदर व्याख्यान किया. कथा के दौरान प्रसंग के आधार पर कलाकारों ने जीवंत झांकी भी प्रस्तुत की. महाराज ने कहा कि स्कंद पुराण में वर्णन मिलता है कि पूर्वजन्म में भगवान कुबेर का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था जिसका नाम गुणनिधि था. लेकिन उसमें एक अवगुण था कि वह चोरी करने लगा था. इस बात का पता चलने पर उसके पिता ने उसे घर से निकाल दिया. महाराज ने आगे कहा कि शिवभक्त श्री गंधर्वराज पुष्पदंत द्वारा रचित शिवमहिम्न स्तोत्र या फिर श्री शिवमहिम्नस्तोत्रम् का अभिप्राय शिव की महिमा से है. यह एक अत्यंत ही मनोहारी शिव स्तोत्र है जो अगाध प्रेम भाव से ओतप्रोत होने के कारण भगवान शिव को बहुत प्रिय है.कथा वाचक ने कहा कि काशी नगरी पतित पावनी गंगा के तट पर बसी है. यह भगवान शिव को समर्पित है तथा स्वर्ण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है.
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काशी विश्वनाथ है नौवां ज्योतिर्लिंग

भगवान् शिव का काशी से विशेष महात्य है. इन्हें काशी के नाथ देवता भी कहा जाता है कि जिस बिंदु पर पहले ज्योतिर्लिंग, जो दिव्या प्रकाश में स्थित शिव का प्रकाश है. काशी में घाट और उत्तरवाहिनी गंगा एवं मंदिर में स्थापित शिवलिंग वाराणसी को धर्म, अध्यात्म, भक्ति एवं ध्यान का महत्वपूर्ण केंद्र की ख्याती प्रदान करता है, क्योंकि शिव की नगरी काशी में महादेव साक्षात वास करते है. यहां बाबा विश्वनाथ के दो मंदिर बेहद खास हैं. पहला विश्वनाथ मंदिर जो 12 ज्योतिर्लिंगों में नौवां स्थान स्थान रखता हैं. वहीं दूसरा जिसे नया विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है. यह मंदिर काशी विश्वविद्यालय के प्रांगण में स्थित है.
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किरण-उमाशंकर शर्मा बने यजमान
इसका आयोजन यजमान किरण-उमाशंकर शर्मा द्धारा किया गया हैं. शुक्रवार को विभिन्न राजनीतिक एंव सामाजिक संगठन के समाजसेवी महाबीर मुर्मू, विजय तिवारी, महेश कुंडू, सदानंद गोर, संजीव मुखर्जी, डॉ राजीव कुमार, उमंग झुनझुनावाला आदि ने शिव के दरबार में हाजरी लगायी और कथा का आनन्द लिया. महाराज जी तीसरे दिन शनिवार को शिव-पार्वती विवाह महिमा का प्रसंग सुनायेंगे. आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रमुख रूप से कृपाशंकर शर्मा, रामाशंकर शर्मा, गिरजाशंकर शर्मा, कृष्णा शर्मा उर्फ काली शर्मा, संतोष शर्मा समेत सैकड़ों की संख्या में भक्तगण शामिल थे.
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