
AAP: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली हार का असर पंजाब में देखा जा रहा है. दिल्ली मॉडल को आगे कर ही आम आदमी पार्टी पंजाब की सत्ता काबिज हुई. लेकिन दिल्ली में ब्रांड केजरीवाल और दिल्ली मॉडल की हार के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पंजाब मॉडल को सामने लाने की बात कह रहे हैं. ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी के लिए अब पंजाब में भी मुश्किलें पैदा होने वाली है. जानकारों का कहना है कि दिल्ली में मिली हार के बाद आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का दखल पंजाब में बढ़ना तय है. लेकिन दिल्ली और पंजाब के राजनीतिक हालात काफी अलग हैं और पंजाब में किसी बाहरी दखल का नुकसान होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. विपक्ष पहले से आरोप लगाता रहा है कि पंजाब की सरकार दिल्ली से चल रही है.
स्वाति मालीवाल से मारपीट का आरोप
केजरीवाल के करीबी सहयोगी विभव कुमार को पंजाब सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किए जाने के बाद इन आरोपों को अधिक बल मिला है. विभव कुमार पर आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट का आरोप है और वे इस मामले में आरोपी बनाए गए हैं. ऐसे में आरोप लगने के बाद भी विभव कुमार की नियुक्ति को लेकर पंजाब में विपक्षी दल मान सरकार के खिलाफ हमलावर रहे हैं. माना जा रहा है कि दिल्ली में मिली हार के बाद दिल्ली का दखल और बढ़ सकता है.
पंजाब की मान सरकार पर बढ़ा दबाव
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को दिल्ली में मिली हार का साइड इफेक्ट आने वाले समय में पंजाब में दिख सकता है. दिल्ली की हार आम आदमी पार्टी के लिए उभार के बाद सबसे बड़ा राजनीतिक झटका है. इसी मॉडल के सहारे केजरीवाल पंजाब में प्रचंड बहुमत हासिल करने में कामयाब रहे. पिछले लोकसभा चुनाव में भी पंजाब में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा था, लेकिन सबसे बड़ा झटका दिल्ली की हार से लगा है. दिल्ली की हार से पंजाब में आम आदमी पार्टी के सरकार के भविष्य पर खतरा पैदा हो गया है. पार्टी के अधिकांश विधायक मौजूदा सरकार के कामकाज से खुश नहीं है और वे राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को तेज कर सकते हैं. पंजाब में आम आदमी पार्टी के अधिकांश विधायक पूर्व में दूसरे दलों में रह चुके है.
विधायक पाला बदल सकते हैं
ऐसे में कई विधायक भविष्य की रणनीति को देखते हुए पाला बदल सकते हैं. मौजूदा सरकार कानून-व्यवस्था, ड्रग्स और बेअदबी मामले में विफल साबित हुई हैं. साथ ही चुनाव पूर्व किए गए कई वादों को सरकार पूरा नहीं कर पायी है. ऐसे में मौजूदा सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ी है. विपक्षी दल आम आदमी पार्टी की कमजोरी का पूरा फायदा उठाने की कोशिश में जुटे हुए है. भले ही आम आदमी पार्टी के पास पंजाब में प्रचंड बहुमत है, लेकिन आने वाले समय में राज्य में बड़े बदलाव होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है.
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