
नई दिल्ली: यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में अमेरिका की सेकेंड लेडी उषा वेंस ने अपनी भारत यात्रा के रोचक अनुभव साझा किए. आंध्र प्रदेश मूल की उषा ने बताया कि अप्रैल 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान उनके बेटे को भारत इतना पसंद आया कि उसने कह दिया – “मुझे लगता है मैं यहीं रह सकता हूं.”
दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास में मिले आतिथ्य और विशेष रूप से आमों की विविधता ने उनके बेटे को खासा प्रभावित किया. उषा ने मंच पर मुस्कुराते हुए बताया कि उनका बेटा बार-बार इस अनुभव को याद करता है.
दुनिया देखी पर भारत खास रहा
उषा वेंस ने यह भी कहा कि उनके बच्चों ने दुनिया के कई हिस्सों की यात्रा की है, लेकिन भारत का अनुभव सबसे खास रहा. बच्चों को भारतीय संस्कृति, मेहमाननवाजी और वातावरण ने बहुत प्रभावित किया. लौटने के बाद भी वे अक्सर भारत की बात करते हैं.
उषा वेंस: गर्वित हिंदू, संस्कृति की सशक्त आवाज
कानूनविद और वक्ता के रूप में प्रसिद्ध उषा वेंस अमेरिका की पहली हिंदू, पहली भारतीय-अमेरिकी और पहली एशियाई-अमेरिकी सेकेंड लेडी हैं. वे गर्व के साथ कहती हैं – “मुझे हिंदू होने पर गर्व है.” अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़े रहने के लिए वे जानी जाती हैं. उन्होंने अपने पति को भी शाकाहारी बना दिया.
जीवन यात्रा: आंध्र से अमेरिका तक
1986 में कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में जन्मीं उषा वेंस का बचपनिक नाम उषा बाला चिलुकुरी था. उनके माता-पिता राधाकृष्णन और लक्ष्मी सत्तर के दशक में आंध्र प्रदेश से अमेरिका में आकर बसे. उषा ने माउंट कार्मल हाईस्कूल से शिक्षा प्राप्त की. फिर येल यूनिवर्सिटी से इतिहास में स्नातक और कानून में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की. इसके साथ ही उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से आधुनिक इतिहास में एम.फिल किया.
येल यूनिवर्सिटी में शुरू हुई प्रेम कहानी
येल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही उषा की मुलाकात जेडी वेंस से हुई. उनके प्रोफेसर एमी चुआ ने उन्हें ‘विपरीत लेकिन परिपूर्ण जोड़ी’ कहा था. वर्ष 2014 में दोनों ने हिंदू और ईसाई रीति-रिवाजों से विवाह किया. आज वे तीन बच्चों – इवान, विवेक और मीराबेल – के माता-पिता हैं.
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