
देवघर में सरकार द्वारा आयोजित होने वाले शिव बारात को लेकर कोर्ट जाने की दी चेतावनी
देवघर : गोड्डा के सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि शिव बारात के पीछे मुख्यमंत्री से देवघर के दो-तीन लोगों की डील हुई है. डील यह कि बैद्यनाथ मंदिर के आसपास जितने भी लाखराज जमीन है, बिना किसी मुआवजे के झारखंड सरकार उसका अधिग्रहण करेगी और यहां के लोगों को उजाड़ा जाएगा. दूसरा यह कि देवोत्तर की जो जमीन है, खास कर 18 बाड़ी, जिसकी रजिस्ट्री अभी हो रही है. जिन दो-तीन लोगों को इसमें फायदा हो रहा है, उन लोगों ने ही शिव बारात को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथ बेच दिया है निशिकांत दुबे रविवार शाम को अपने आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अब तक शिव बारात में झारखंड सरकार का एक भी रुपए नहीं लगता था. लेकिन इस बार पर्यटन विभाग शिव बारात पर खर्च कर रही है. शिव बारात को लेकर बिना टेंडर और अनुमति के काम हो रहे हैं, उनसबों की आडिट होगी.
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खर्च को लेकर कोर्ट जाने की कही बात
सांसद ने कहा कि आडिट होने के बाद वे इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे. कोर्ट से पूछेंगे कि शिव बारात में जहां झारखंड सरकार का एक भी रुपए नहीं लगता था, वहां शिव बारात में अब 2-3 करोड़ खर्च किया गया, यह किसका पैसा था. आखिर क्या ऐसी मजबूरी हो गई कि पर्यटन विभाग को शिव बारात का आयोजन अपने जिम्मे लेना पड़ा. इस सबों का हिसाब कोर्ट, सीएजी और लोकायुक्त के पास होगा. शिव बारात को लेकर एनएच पर गेट कौन लगा रहा है. जबकि गेट लगाने की अनुमति एनएच ने सांसद सदस्यता वाली समिति को दे रखी है. अभी तक टेंडर फाइनल नहीं हुआ है. 20 फरवरी को टेंडर फाइनल होगा कि कौन झांकी निकलेगी, कौन सा गेट, लाइट और साउंड लगेगा. अगर टेंडर के पहले काम हो रहा है तो किसी की तो बैक डोर इंट्री हुई है. टेंडर से पहले हो रहे शिव बारात की सारी तैयारियों का वीडियो बनाना सांसद ने शुरू कर दिया है. झारखंड सरकार के पैसों का बंदरबांट नहीं हो सकता है. निशिकांत दुबे ने कहा कि शिव बारात का उनके वोट बैंक से कोई मतलब नहीं है. 2020 तक शिव बारात में उनकी कोई भूमिका नहीं रही. जिन लोगों को लगता है कि शिव बारात वोट बैंक है, तो वे गलतफहमी में हैं. यह शुद्ध रूप से आस्था का मामला है.
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देवघर में क्राइम कंट्रोल के लिए आईजी की हो तैनाती
जिले में बढ़ते क्राइम पर निशिकांत दुबे ने कहा कि प्रत्येक जिले में एसपी रैंक के अधिकारी पुलिस कप्तान हैं. लेकिन देवघर में डीआईजी को एसपी बनाकर रखा गया है. लेकिन डीआईजी से भी देवघर नहीं संभल रहा है. यहां की भौगोलिक परिस्थिति कुछ ऐसी है कि जिले की सीमाएं बिहार-बंगाल से सटी हुई है। सांसद ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि देवघर में आईजी स्तर के पुलिस अधिकारी की तैनाती करें, इससे देश में एक मैसेज भी जाएगा कि देवघर एक ऐसा जिला है, जहां डीआईजी, एसपी बनकर क्राइम कंट्रोल नहीं कर पाए तो आईजी को तैनात किया गया.
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