- स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी को पत्र लिखकर जताई चिंता, मरीजों के लिए पेयजल और जनसुविधाओं की व्यवस्था करने की मांग
- अधूरे अस्पताल भवन का उद्घाटन बताया जल्दबाजी का फैसला, मरीज और परिजन झेल रहे हैं संकट
- पेयजल संकट ने बढ़ाई परेशानी, घटिया नल और खराब आरओ बने समस्या
- भूगर्भ जलस्तर खतरे में, वैकल्पिक जलापूर्ति का वादा अब तक अधूरा
- मरीजों की मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी, अब कार्रवाई ही समाधान – सरयू राय
जमशेदपुर : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में फैली अव्यवस्था और मूल सुविधाओं के अभाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी को विस्तृत पत्र लिखकर कहा है कि अस्पताल की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाने और मरीजों को आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए एक सक्षम अनुश्रवण समिति (Monitoring Committee) का गठन तत्काल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समिति में स्थानीय सांसद और विधायक को शामिल किया जाना ज़रूरी है ताकि जनप्रतिनिधि सीधे निगरानी कर सकें और योजनाओं को धरातल पर उतारा जा सके।
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गंदगी और अव्यवस्था से जूझता एमजीएम अस्पताल – मरीज बेहाल
पत्र में सरयू राय ने लिखा कि 2024 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक लाभ लेने की नीयत से अधूरे अस्पताल भवन का उद्घाटन जल्दबाजी में करा दिया गया। उन्होंने कहा कि यह उद्घाटन मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराया गया था। नतीजतन न सिर्फ पुराने अस्पताल की शिफ्टिंग बाधित हुई, बल्कि अस्पताल प्रबंधन और मरीज आज तक अव्यवस्था का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उद्घाटन के समय ही उन्होंने यह सवाल उठाया था कि जब अस्पताल में पानी की व्यवस्था पूरी नहीं है, तब संचालन कैसे संभव है? उन्होंने आरोप लगाया कि उद्घाटन के दौरान वास्तविक स्थिति को छुपाया गया। उद्घाटन के बाद ऐसे हालात बने कि अनुचित तरीके से अस्पताल परिसर में पांच गहरे बोरिंग (Deep Boring) कराए गए, जो नियमानुसार भी नहीं हैं।
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बिना पानी के अस्पताल! उद्घाटन के बाद भी अस्त-व्यस्त सुविधाएं
सरयू राय ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि पिछले पंद्रह दिनों से मरीजों और उनके परिजनों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। हर दिन उन्हें फोन पर शिकायतें मिल रही हैं कि पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं हो रहा। इस पर कार्रवाई करवाने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। विधायक ने जांच में पाया कि अस्पताल भवन बनाने वाली एलएंडटी कंपनी ने बेहद घटिया गुणवत्ता के आरओ और पानी के नल लगाए हैं, जो नियमित उपयोग के अनुरूप नहीं हैं। नलों की हालत खराब होने से एक-एक कर टूट रहे हैं और आरओ पानी की शुद्धता सुनिश्चित नहीं कर पा रहे। बोरिंग से आने वाले पानी में घुलनशील हानिकारक तत्वों की मात्रा बहुत अधिक पाई गई है, जिससे पानी पीना स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित हो गया है।
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एलएंडटी कंपनी पर लापरवाही का आरोप – मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़?
विधायक राय ने अस्पताल में लगाए गए पांच डीप बोरिंग को लेकर पहले ही आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि इतने बड़े अस्पताल में भूगर्भ जल पर निर्भरता भूजल स्तर को नीचे गिरा देगी। उस समय अस्पताल प्रबंधन ने आश्वासन दिया था कि एक वर्ष के भीतर सतही जलापूर्ति योजना से पानी की व्यवस्था की जाएगी। लेकिन अब एक साल होने को है और वैकल्पिक जलव्यवस्था पर कोई प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते इस दिशा में काम नहीं हुआ, तो आगामी महीनों में अस्पताल में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो सकता है, जिसका असर मरीजों के इलाज पर पड़ेगा।
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सतही जल योजना धरी रह गई – सिर्फ आश्वासन से नहीं चलेगा अस्पताल
पत्र के अंत में सरयू राय ने कहा कि एमजीएम अस्पताल प्रदेश का महत्वपूर्ण सरकारी अस्पताल है, लेकिन यहां दवाओं की उपलब्धता, मशीनों की मरम्मत, पैरामेडिकल स्टाफ की कमी और जांच सुविधाओं की खराब स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने आग्रह किया कि स्वास्थ्य मंत्री तत्काल अनुश्रवण समिति गठित करें, जो अस्पताल संचालन की निगरानी करे और नियमित रिपोर्ट दे। उन्होंने कहा कि यदि तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो यह अस्पताल किसी भी आपात स्थिति से निपटने में सक्षम नहीं होगा।