
झाड़ग्राम: पश्चिम बंगाल के प्रमुख पारंपरिक त्योहारों में शामिल जमाई षष्ठी इस वर्ष रविवार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में उल्लासपूर्वक मनाई जाएगी. यह पर्व दामाद को विशेष सम्मान देने के उद्देश्य से मनाया जाता है. इस दिन दामाद अपनी पत्नी के साथ ससुराल पहुंचता है, जहां सास-श्वसुर उसे प्रेमपूर्वक आमंत्रित कर स्वागत करते हैं. झाड़ग्राम जिले सहित समूचे बंगाल में जमाई षष्ठी को लेकर उत्साह चरम पर है. बाजारों में भारी भीड़ उमड़ रही है. मिठाई दुकानों में विविध प्रकार के परंपरागत और आधुनिक मिठाइयों की तैयारी शुरू हो चुकी है. खासकर रसगुल्ला, संदेश और मिष्टि दोई की मांग सबसे अधिक है.
फल और पकवानों की बहार
बाजारों में मौसमी फलों की बहुलता देखी जा रही है. आम, लीची, केले और जामुन से लेकर खट्टे-मीठे फलों की बहार है, जो दामाद के थाल को सजाएंगे.
जमाई षष्ठी के मौके पर बंगाली घरों में विशेष पकवानों की तैयारी होती है, जिनमें शामिल हैं —
शुक्तो (कड़वे स्वाद वाला सब्जी मिश्रण)
लुची और आलूर डोम
इलिश भापा (सरसों में पका हिल्सा मछली)
चिंगड़ी मलाई करी (नरियल दूध में बना झींगा)
मांशो कोशा (मसालेदार मटन)
कांचा गोला (दूध और छेना से बनी मिठाई)
इन व्यंजनों और मिठाइयों के साथ-साथ दामाद को वस्त्र, उपहार और प्रेम से सुसज्जित आतिथ्य भी मिलता है, जो बंगाली संस्कृति की गहराई और आत्मीयता को दर्शाता है.
संस्कृति और संबंधों का संगम
जमाई षष्ठी न केवल एक पर्व है, बल्कि दामाद और ससुराल पक्ष के रिश्ते को मजबूत करने का अवसर भी है. यह त्योहार बंगाल की पारिवारिक संस्कृति, आतिथ्य और प्रेम की जीवंत मिसाल है. झाड़ग्राम समेत पूरे बंगाल में इस पारंपरिक उत्सव की गरिमा को बनाए रखने की तैयारियां जोरों पर हैं.
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