
कानपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पटना से सीधे कानपुर पहुंचे और 47,600 करोड़ रुपये की 15 बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया. इस दौरान उन्होंने आतंकवाद, आत्मनिर्भर भारत और विकास के नए प्रतीकों पर विस्तार से बात की. अपने संबोधन की शुरुआत में पीएम मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है और देश को आतंक से डराने का प्रयास करने वाले किसी भ्रम में न रहें. उन्होंने तीन स्पष्ट सूत्र प्रस्तुत किए—
भारत हर आतंकी हमले का सटीक और करारा जवाब देगा.
जवाब देने का समय, तरीका और शर्तें हमारी सेनाएं खुद तय करेंगी.
भारत अब एटम बम की धमकी से डरने वाला देश नहीं रहा.
पीएम ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के आकाओं और उन्हें संरक्षण देने वाली सरकारों में कोई भेद नहीं करता. उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले में शहीद कानपुर के शुभम द्विवेदी का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनकी बेटी ऐशान्या का दर्द और गुस्सा ऑपरेशन सिंदूर के रूप में सामने आया है. यह सिर्फ एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, एक जनभावना थी.
आत्मनिर्भर भारत: केवल रणनीति नहीं, स्वाभिमान का अभियान
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को यह ताकत ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच से मिली है. एक समय था जब भारत अपनी सुरक्षा ज़रूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर था. अब यह सोच बदली है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान के लिए भी अत्यंत आवश्यक है.
“जो कभी मेट्रो शहरों में था, वह अब कानपुर में भी है”
पीएम ने कहा कि आज जो बुनियादी ढांचे और सुविधाएं पहले केवल बड़े शहरों तक सीमित थीं, वे अब कानपुर जैसे शहरों में भी स्पष्ट दिखाई दे रही हैं. कानपुर मेट्रो इसका एक उदाहरण है. उन्होंने कहा कि जब सरकार का इरादा साफ हो, नीयत नेक हो और इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो विकास साकार होता है.
यूपी बना रक्षा निर्माण का केंद्र: ब्रह्मोस का नया पता
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश में पारंपरिक उद्योगों की जगह रक्षा क्षेत्र की बड़ी कंपनियां कदम रख रही हैं. उन्होंने कहा, “जिस ब्रह्मोस मिसाइल ने दुश्मनों की नींद उड़ा दी थी, अब उसका नया पता उत्तर प्रदेश है.” उन्होंने अमेठी में शुरू हुए AK203 राइफल निर्माण का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत अब रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.
नया भारत, नई रणनीति
प्रधानमंत्री मोदी का कानपुर में दिया गया यह भाषण सिर्फ परियोजनाओं के उद्घाटन का औपचारिक संबोधन नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था — कि नया भारत अब न तो धमकियों से डरेगा, न ही अपनी रक्षा में देरी करेगा. साथ ही, आत्मनिर्भरता के मार्ग पर देश सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक आज़ादी भी हासिल कर रहा है.
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