
पश्चिम सिंहभूम: केन्द्रीय विद्यालय, मेघाहातुबुरु में वर्ष 2025 के भारतीय भाषा ग्रीष्म शिविर के अंतर्गत ओड़िया भाषा पर केंद्रित विशेष सत्र आयोजित किया गया। विद्यालय के प्राचार्य डॉ. आशीष कुमार के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में सम्पन्न इस शिविर में छात्रों ने ओड़िया भाषा की बुनियादी संरचना, गीत, कविताएं, लोकोक्तियाँ तथा लोककथाओं के माध्यम से सांस्कृतिक यात्रा का अनुभव किया।
भाषा से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत और एकता का संदेश
शिविर का उद्देश्य छात्रों को भारत की भाषाई विविधता से अवगत कराना, उसका सम्मान बढ़ाना और उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ना था। उद्घाटन सत्र में प्राचार्य डॉ. आशीष कुमार ने कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और एकता की आत्मा है। ऐसे आयोजन बच्चों में भाषाई कौशल के साथ-साथ विविध संस्कृतियों के प्रति सम्मान की भावना जागृत करते हैं।
रचनात्मक गतिविधियों से हुआ भाषा-अध्ययन का सशक्त अनुभव
शिविर की शुरुआत ओड़िया वर्णमाला से हुई, जिसमें छात्रों ने अक्षरों के उच्चारण एवं पहचान का अभ्यास किया। इसके बाद ओड़िया लोकगीतों, बाल साहित्य और लोककथाओं पर आधारित कविता पाठ, संवाद-अभिनय, पोस्टर निर्माण जैसी गतिविधियाँ आयोजित की गईं। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों ने भाषा और संस्कृति के बीच के गहरे संबंध को समझा।
समापन में छात्रों का एकता का सशक्त संदेश
शिविर के समापन कार्यक्रम में छात्रों ने एक स्वर में कहा कि भाषा अनुभव से ही हम एकता के सूत्र में बंध सकते हैं। इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षकगण, अभिभावक और स्थानीय जनसमुदाय उपस्थित थे। केन्द्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरु द्वारा आयोजित यह ग्रीष्म शिविर शिक्षा क्षेत्र में एक नवाचार के रूप में उभरा है। यह पहल ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के आदर्श को व्यवहार में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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